गाड़ी चोरी हो गई, FIR नहीं हुई, Only Police Ping-Pong

महेंद्र सिंह
महेंद्र सिंह

 थाने जाओ, चौकी जाओ, फिर से थाने जाओ, फिर घर आओ और खुद अपनी गाड़ी तलाशो – यही है लखनऊ की ‘SMART पुलिसिंग’!

घटना का ट्रेलर: सुबह उठे, गाड़ी गायब – और सिस्टम भी

लखनऊ के ठाकुरगंज थाना क्षेत्र के शेखपुर हबीबपुर निवासी शकील अहमद की रोज़ी-रोटी का सहारा – उनकी लोडर गाड़ी – 9 जुलाई की रात चोरी हो गई। उन्होंने सोचा था कि 112 पर कॉल करेंगे, पुलिस आएगी, FIR लिखेगी और शायद CCTV देखकर चोर पकड़ भी ले।

लेकिन असली फिल्म की स्क्रिप्ट कुछ और ही निकली।

रिंग रोड चौकी का जवाब – “गाड़ी खुद खोजो, फिर आओ”

जब शकील रिंग रोड चौकी पहुंचे तो वहां तहरीर को ऐसे देखा गया जैसे कोई पुराना टीवी बिल। पहले कहा गया “साहब नहीं हैं”, फिर “देखते हैं”, और फिर… तीसरे दिन सीधे कह दिया गया – “इतनी जल्दी क्या है? पहले खुद गाड़ी खोजो।”

पुलिस का मतलब अब ‘Public Ullu Patana Institution for Systematic Excuses’ हो चला है।

थाने से चौकी, चौकी से थाने – ‘साइकल ऑफ न्याय’

हैरान-परेशान शकील ने फिर ठाकुरगंज थाने का रुख किया, उम्मीद थी कि यहां इंसानियत मिलेगी। लेकिन मिला वही पुराना जवाब – “वापस चौकी जाओ, मामला वहीं का है।” लगता है गाड़ी नहीं चोरी हुई, jurisdiction का भरोसा चोरी हो गया!

10 दिन, 0 रिपोर्ट, 0 सुराग – पर गालियों का ब्याज ज़रूर मिला

10 दिन बीत चुके हैं, न FIR, न लोडर, और न ही कोई कार्यवाही। पुलिस का रवैया देखकर लगता है कि अब FIR भी RTI डालकर मांगनी पड़ेगी!

बात सिर्फ एक गाड़ी की नहीं, एक आम आदमी की उम्मीद की है

शकील रोते हुए कहते हैं – “अगर मैं गरीब हूं तो क्या मुझे न्याय नहीं मिलेगा? क्या पुलिस सिर्फ पैसे वालों की गाड़ी ढूंढती है?”

यह मामला सिर्फ एक गाड़ी की चोरी नहीं है, यह सिस्टम की संवेदनहीनता की कहानी है। जहां आम आदमी की शिकायत भी ‘Pending Approval’ में रहती है।

ज्ञान बम के साथ:

“FIR दर्ज करना अब Tinder Match जैसा हो गया है – अगर पुलिस को ‘feeling right’ ना आए, तो Swipe Left!”

अब सवाल ये है — आम आदमी आखिर जाए तो कहां?

CM योगी आदित्यनाथ जी से लेकर लखनऊ पुलिस और जिला प्रशासन तक — सबको यह केस देखना चाहिए। क्योंकि जब एक मेहनती व्यक्ति की रोज़ी-रोटी पर सिस्टम चुप हो जाए, तो न्याय नहीं, अन्याय Trending होता है।

Public Appeal:

यदि आपने भी ऐसा अनुभव किया है, या पुलिस ने आपकी बात अनसुनी की है, तो आवाज़ उठाएं। सोशल मीडिया पर ट्रेंड करें, अपने अनुभव साझा करें, क्योंकि…

“चुप रहना भी अपराध है, जब अन्याय सामने हो!”

किताब संग बिरयानी और नींद मिलाइयो—RO/ARO परीक्षा से पहले स्मार्ट बने के ट्रिक

Related posts

Leave a Comment