
जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ ज़िले के चाशोटी क्षेत्र में बुधवार सुबह बादल फटने (Cloudburst) की घटना ने तबाही मचा दी। बीबीसी के अनुसार, ज़िला उपायुक्त (DC) पंकज शर्मा ने 38 लोगों की मौत की पुष्टि की है, जबकि 70 से अधिक घायल जिला और ब्लॉक अस्पतालों में भर्ती हैं।
Flash Flood और राहत कार्य जारी
बादल फटने की वजह से फ़्लैश फ्लड जैसी स्थिति पैदा हो गई, जिससे कई घर और दुकानें बह गईं। यह इलाका मचैल माता यात्रा का शुरुआती बिंदु है, जिससे स्थिति और संवेदनशील हो गई।
DC किश्तवाड़ और SDRF, स्थानीय पुलिस, मेडिकल टीमें और अन्य एजेंसियां राहत-बचाव में जुटी हैं। लेकिन सड़कें बहने और मौसम खराब होने से हेलीकॉप्टर भेजने में दिक्कतें आ रही हैं।
नेताओं की प्रतिक्रियाएं
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु, गृह मंत्री अमित शाह, केंद्रीय राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह, मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्लाह और अन्य नेताओं ने हादसे पर शोक जताया है।
उमर अब्दुल्लाह ने अपने ‘X’ हैंडल पर लिखा, “सरकार समय-समय पर जानकारी साझा करेगी, फिलहाल राहत और बचाव पर फोकस है।“
हेलीकॉप्टर नहीं उड़ पा रहे, राहत में दिक्कत
केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा, “इलाके की सड़कें बह गई हैं और खराब मौसम के कारण हेलीकॉप्टर इस्तेमाल नहीं हो पा रहे।” उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार से समन्वय किया जा रहा है और अतिरिक्त टीमें भेजी जा रही हैं।
मचैल माता यात्रा भी प्रभावित
बादल फटने की ये घटना प्रसिद्ध मचैल माता यात्रा मार्ग पर हुई, जहां इन दिनों भारी भीड़ होती है। स्थानीय विधायक सुनील कुमार शर्मा ने कहा, “भीड़भाड़ के कारण नुकसान ज्यादा हो सकता है।” यात्रा फिलहाल स्थगित कर दी गई है।
ग्लोबल वार्मिंग से जोड़ते हुए फारूक़ अब्दुल्लाह की चेतावनी
नेशनल कॉन्फ्रेंस प्रमुख फारूक़ अब्दुल्लाह ने इसे ग्लोबल वार्मिंग से जोड़ा और पीएम मोदी से इस विषय को गंभीरता से लेने की अपील की। उन्होंने कहा, “पहाड़ी क्षेत्रों में बादल फटना अब आम हो गया है — उत्तराखंड, रामबन और अब किश्तवाड़… इससे निपटने के लिए ठोस नीति चाहिए।“

जारी हुए हेल्पलाइन नंबर
मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से हेल्पलाइन और कंट्रोल रूम नंबर जारी किए गए हैं ताकि प्रभावित लोग और उनके परिवार मदद मांग सकें।
वायरल वीडियो में तबाही की झलक
PTI और ANI द्वारा जारी वीडियो फुटेज में पानी का सैलाब घरों और सड़कों को बहाता दिख रहा है। कई लोग अब भी लापता हैं।
उत्तर भारत में मानसूनी कहर जारी
इस महीने की शुरुआत से उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर के कई हिस्से भारी बारिश और फ्लैश फ्लड से प्रभावित हुए हैं। उत्तरकाशी में भी इसी महीने बादल फटने से कई जानें गई थीं।
क्या आगे की तैयारी है?
सरकार की ओर से मुआवजे और पुनर्वास के संकेत मिले हैं, लेकिन स्थानीय लोग पर्यावरणीय सुरक्षा, इंफ्रास्ट्रक्चर प्लानिंग और रिस्क अलर्ट सिस्टम की मांग कर रहे हैं।
किश्तवाड़ की यह घटना एक बार फिर बताती है कि हिमालयी क्षेत्रों में बदलते मौसम पैटर्न और ग्लोबल वार्मिंग को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
सरकार और नागरिक समाज को मिलकर दीर्घकालीन समाधान तलाशने होंगे।