पटना में खेमका हत्याकांड: 250 मीटर दूर थाने से पहुंची देर से पुलिस

गौरव त्रिपाठी
गौरव त्रिपाठी

पटना में शुक्रवार रात को एक चौंकाने वाली घटना में बीजेपी नेता और मगध अस्पताल के मालिक गोपाल खेमका की गोली मारकर हत्या कर दी गई। ये वारदात गांधी मैदान थाना क्षेत्र के बेहद सुरक्षित माने जाने वाले इलाके में पनाश होटल के पास हुई। खेमका अपने अपार्टमेंट लौट रहे थे तभी अज्ञात हमलावरों ने गाड़ी से उतरते ही उन पर ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी।

स्टार्टअप! Cheel’d Out: चाय भी, WiFi भी — और हर कुल्हड़ में कूलनेस भी

सिर पर सटाकर मारी गई गोली

पुलिस के अनुसार, हमलावरों ने खेमका के सिर पर सटाकर गोली चलाई। घटनास्थल से चार खोखे और एक गोली बरामद हुई है। CCTV फुटेज की जांच की जा रही है, जिसमें एक शूटर गेट के पास पहले से खड़ा दिखाई दे रहा है। ये पूरी वारदात सिर्फ 6 सेकंड में अंजाम दी गई।

पुलिस पर गंभीर आरोप

घटनास्थल गांधी मैदान थाने से सिर्फ 250 मीटर की दूरी पर है, बावजूद इसके पुलिस मौके पर देर से पहुंची। इस देरी को लेकर स्थानीय लोगों और व्यापारियों में जबरदस्त गुस्सा है। पटना एसएसपी दीक्षा ने दावा किया है कि हत्यारों को जल्द गिरफ्तार किया जाएगा और SIT का गठन किया गया है।

SIT गठित, पुरानी रंजिश की आशंका

हत्या के इस सनसनीखेज मामले में SP सिटी सेंट्रल की अध्यक्षता में SIT बनाई गई है। पुलिस इस हत्या के पीछे पुरानी दुश्मनी को भी एक एंगल के रूप में देख रही है, खासकर क्योंकि…

पहले बेटे की भी हो चुकी है हत्या

खेमका के बेटे गुंजन खेमका की भी 2018 में गोली मारकर हत्या की गई थी, और अब तक वह केस अनसुलझा है। उस केस में आरोपी रहे एक व्यक्ति की हत्या भी हो चुकी है। यह दूसरा झटका खेमका परिवार के लिए बेहद दर्दनाक है।

कौन थे गोपाल खेमका?

  • मगध अस्पताल के मालिक

  • बीजेपी से जुड़े नेता

  • पटना के प्रतिष्ठित व्यवसायी

  • बांकीपुर क्लब के पूर्व सचिव

  • उनका बेटा डॉक्टर और बेटी लंदन में है

“जंगलराज” की वापसी?

व्यापारी संगठनों और आम लोगों ने इस हत्या को लेकर “जंगलराज की वापसी” की आशंका जताई है। कई व्यापारियों में डर का माहौल है और राज्य की कानून व्यवस्था पर फिर सवाल खड़े हो गए हैं।

पटना जैसे सुरक्षित समझे जाने वाले इलाके में बीजेपी नेता और कारोबारी की दिनदहाड़े हत्या ने एक बार फिर बिहार में सुरक्षा व्यवस्था की पोल खोल दी है। अब देखना है कि पुलिस और SIT कितनी तेजी से हत्यारों तक पहुंचती है, या ये मामला भी एक और “अनसुलझा केस” बनकर फाइलों में दब जाएगा।

20 साल बाद ठाकरे बंधु साथ: राजनीति, मराठी और हिंदी पर गरमाई सियासत

Related posts

Leave a Comment