Karwa Chauth Vidhi, Muhurat, Katha: क्यों रखा जाता है यह व्रत?

शालिनी तिवारी
शालिनी तिवारी

करवा चौथ एक ऐसा पर्व है, जहां प्यार भूख से बड़ा हो जाता है, और चाँद एक सिंबॉल बन जाता है पति की लंबी उम्र का। इस व्रत को निभाना केवल कठिन उपवास नहीं, बल्कि एक गहरी भावना, परंपरा और श्रद्धा की मिसाल है। आइए जानें इस बार के करवा चौथ से जुड़ी सारी अहम जानकारी।

करवा चौथ 2025 की तारीख व तिथि

हिंदू पंचांग के अनुसार, इस बार करवा चौथ 10 अक्टूबर 2025 (शुक्रवार) को मनाया जाएगा। यह व्रत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को रखा जाता है, जिसे कर्क चतुर्थी भी कहा जाता है।

शुभ मुहूर्त (Karwa Chauth 2025 Shubh Muhurat)

पूजन मुहूर्त 5:57 PM से 7:11 PM तक (1 घंटा 14 मिनट)
उपवास अवधि सुबह 6:19 AM से रात 8:13 PM तक
चतुर्थी तिथि 9 अक्टूबर रात 10:54 PM से 10 अक्टूबर शाम 7:38 PM तक
चंद्रोदय समय रात 8:14 PM (दिल्ली-NCR में 8:13 PM)

इस मुहूर्त में व्रती महिलाएं करवा माता, मां पार्वती, भगवान गणेश की पूजा करती हैं, कथा सुनती हैं और चंद्रमा को अर्घ्य देती हैं।

करवा चौथ पूजा विधि (Karwa Chauth 2025 Pujan Vidhi)

  1. ब्रह्म मुहूर्त में सरगी करें, जो आपकी सास द्वारा दी जाती है। इसमें फल, मिठाई, सूखे मेवे, सेवईं आदि होते हैं।

  2. सोलह श्रृंगार करें और साफ-सुथरे वस्त्र पहनें।

  3. दीवार पर करवा माता का चित्र लगाएं या बनाएं।

  4. ज़मीन पर चावल और हल्दी से चित्र बनाएं और करवा रखें, ऊपर घी का दीपक जलाएं।

  5. करवा में 11 या 21 सींकें लगाएं और उसमें खील-बताशे, साबुत अनाज डालें।

  6. सुहाग की सामग्री (चूड़ी, बिंदी, सिंदूर, आदि) अर्पित करें।

  7. व्रत कथा सुनें और पूजा संपन्न करें।

  8. चाँद निकलने पर छलनी से पहले पति को, फिर चाँद को देखें। अर्घ्य दें और व्रत खोलें।

चंद्रमा को देखने के बाद व्रत का समापन

करवा चौथ का व्रत तब तक नहीं खुलता जब तक महिलाएं चंद्रमा के दर्शन नहीं कर लेतीं। पति को छलनी से देखकर जल अर्पित करने की यह परंपरा प्रेम और आस्था का सबसे खूबसूरत दृश्य बन जाती है।

करवा चौथ की कथा (Karwa Chauth 2025 Katha)

करवा और मगरमच्छ की कहानी:

करवा नामक एक पतिव्रता स्त्री थी, जिसने अपने पति को बचाने के लिए मगरमच्छ को कच्चे धागे से बाँध दिया और यमराज से लड़ गई। करवा की सच्ची निष्ठा देखकर यमराज ने उसके पति को जीवनदान दिया।

सावित्री और सत्यवान की कथा:

सावित्री ने अपने पति सत्यवान को वट वृक्ष के नीचे यमराज से छीन लिया था। उसकी दृढ़ता और तपस्या के चलते यमराज ने सत्यवान के प्राण लौटाए। तभी से पतिव्रता स्त्रियाँ इस व्रत को संतान और सुहाग की रक्षा के लिए करती हैं।

करवा चौथ: व्रत नहीं, विश्वास है

करवा चौथ एक महिला के समर्पण, प्रेम और शक्ति का प्रतीक है। इस दिन केवल भूखा रहना ही नहीं बल्कि मन और आत्मा से अपने साथी के लिए प्रार्थना करना होता है। यह पर्व नारी के भीतर छिपे सहनशीलता, त्याग और प्रेम को उजागर करता है।

डॉक्टर क्या कहते हैं?

यदि आप स्वास्थ्य संबंधी समस्या से जूझ रही हैं तो उपवास को लेकर डॉक्टर से सलाह लें। निर्जला व्रत सभी के लिए उपयुक्त नहीं होता। सरगी पोषण से भरपूर लें और पूरे दिन आराम करें।

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करवा चौथ कोई जबरदस्ती का व्रत नहीं, यह महिलाओं के अपने प्रेम और श्रद्धा से जुड़ा निर्णय है। इसमें जो शक्ति छिपी है, वो सिर्फ भूख सहने की नहीं, रिश्तों को निभाने की है।

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