इंद्रजीत सरोज का मंदिर और तुलसीदास पर बयान: अंबेडकर जयंती पर उठी सियासी आंधी

लखनऊ : उत्तर प्रदेश की राजनीति अब स्टैंड-अप कॉमेडी क्लब लगने लगी है — जहां नेताओं के बयान जोक नहीं, “जवाबदेही से बचने का जुगाड़” बन गए हैं। समाजवादी पार्टी के इंद्रजीत सरोज ने अंबेडकर जयंती के दिन माइक पकड़ा और जैसे ही बोलना शुरू किया, लगा मानो इतिहास, धर्म और राजनीति — तीनों की क्लास एक साथ लग गई हो। उन्होंने मंदिरों की ताकत को ढीला बताया, तुलसीदास पर लिटरेरी एफआईआर दर्ज कर दी, और योगी आदित्यनाथ को सत्ता के मंदिर का पुजारी घोषित कर दिया।

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अब भई, जब जय भीम का नारा राम के नारे से ज्यादा “करियर फ्रेंडली” बताया जाए, तो समझ जाइए चुनावी मौसम बस शुरू ही हुआ है। और हां, राणा सांगा की आत्मा भी शायद SP ऑफिस के बाहर धरने पर बैठी हो — “मुझे भी तो गद्दार कहा गया है!”

क्या कहा इंद्रजीत सरोज ने अंबेडकर जयंती पर?

“अगर मंदिरों में ताकत होती, तो गजनवी और गोरी जैसे लुटेरे भारत न आते” – ये बयान सोशल मीडिया पर जंगल की आग की तरह फैल गया।

योगी आदित्यनाथ पर तीखा हमला

सरोज बोले: “बाबा अब मंदिर नहीं, सत्ता के मंदिर में विराजमान हैं। हेलिकॉप्टर से चलते हैं।”

राम नहीं, जय भीम बोले तो आगे बढ़ोगे

“राम का नारा लगाने से कुछ नहीं होगा, जय भीम बोलो तभी आगे बढ़ पाओगे” — ये लाइन अब विपक्ष के लिए टूलकिट बन चुकी है।

तुलसीदास पर विवादित टिप्पणी

“तुलसीदास ने लिखा कि शूद्र अगर पढ़-लिख जाए, तो सांप दूध पी लेता है” — यह बयान रामचरितमानस विवाद को फिर हवा देता दिख रहा है।

मायावती पर निशाना और करणी सेना पर हमला

“चमार बिरादरी के युवक को ज़िंदा फूंक दिया गया, मायावती नहीं आईं” — इंद्रजीत सरोज का ये बयान भी सुर्खियों में।

SP नेताओं की विवादों में लंबी लिस्ट

रामजी लाल सुमन से लेकर स्वामी प्रसाद मौर्य तक, SP नेताओं के बयान अक्सर पार्टी के लिए बूमरैंग साबित हुए हैं।

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