“तेल छोड़ो मोदीजी, अब हमारी गैस और मक्के वाला इथेनॉल अपनाओ”

सैफी हुसैन
सैफी हुसैन, ट्रेड एनालिस्ट

नई दिल्ली से वाशिंगटन तक की डिप्लोमेसी में अब खुशबू पेट्रोल की नहीं, इथेनॉल की आ रही है। अमेरिका चाहता है कि भारत अब रूस के तेल को ‘ना’ कहे और उसकी गैस और मक्के से बना इथेनॉल खरीदे। वजह साफ है— रूस का तेल खरीदकर भारत, यूक्रेन युद्ध की ‘फंडिंग’ में मदद कर रहा है, ऐसा अमेरिका का आरोप है।

लेकिन बात सिर्फ तेल की नहीं है— ट्रंप और मोदी के बीच अब “बायोफ्यूल की डील” का खेल शुरू हो गया है।

अमेरिका का ऑफर: “तेल छोड़ो, गैस और मक्का पकड़ो”

चीन से सुलह के बाद अब अमेरिका भारत के ऊर्जा बाजार में एंट्री मारने की तैयारी में है। भारत भी बदले में चाहता है कि अमेरिका उसके एक्सपोर्ट पर लगे 50% टैक्स कम करे।
मामला आसान लगता है, लेकिन… जब बात आती है बायोएनर्जी मार्केट खोलने की, तो मामला गर्म हो जाता है — ठीक वैसे ही जैसे गर्मी में एसी का रिमोट लेकर दो लोग झगड़ रहे हों।

बायोफ्यूल का ‘मक्का-मसाला’ पॉलिटिक्स

भारत हर साल पेट्रोल में 10 अरब लीटर इथेनॉल मिलाता है — और अमेरिका चाहता है कि उसमें उसका मक्का भी घुल जाए। पर दिक्कत ये है कि भारत खुद इथेनॉल बनाकर किसानों को फायदा पहुँचा रहा है। अब अगर अमेरिका से इथेनॉल आयात होगा, तो किसानों की कमाई आधी रह जाएगी।

साफ कहें तो:
“अमेरिका का मक्का भारत के किसानों के धान पर भारी पड़ सकता है।”

मोदी के लिए डबल झटका – किसान और कारवाले दोनों नाराज़!

मोदी सरकार के बायोफ्यूल मिशन से पहले ही कई लोग नाखुश हैं। पुरानी गाड़ियों के मालिक कहते हैं कि “इथेनॉल से इंजन की जान निकल रही है”,
और किसान बोल रहे हैं – “हमारी कमाई पर विदेशी मक्का नहीं चलेगा।”

मतलब एक तरफ गाड़ीवाले “माइलेज” की बात कर रहे हैं, तो दूसरी तरफ किसान “मक्के” की।

ट्रंप की चाल और मोदी की राजनीति

ट्रंप के ट्रेड वॉर ने अमेरिका को बातचीत में थोड़ा दबंग बना दिया है। अब जब चीन और अमेरिका आपसी मसले सुलझा रहे हैं, तो भारत और ब्राज़ील पर टैरिफ का सबसे बड़ा बोझ है।

भारत चाहता है कि टैरिफ 20% तक घटाया जाए, लेकिन मोदी जानते हैं — “किसानों को नाराज़ कर दिया, तो चुनाव में ‘मक्का’ नहीं, झटका मिलेगा।”

आख़िर में सवाल बस इतना…

क्या मोदी ट्रंप की “गैस” में आएंगे, या फिर किसानों की “जमीन” की बात सुनेंगे?

राजनीति में तेल, गैस, इथेनॉल सब बदलते रहते हैं — पर वोट की केमिस्ट्री हमेशा सबसे पावरफुल ईंधन रहती है।

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