
ग़ज़ा में शांति के लिए अमेरिका की नई योजना पर भारत ने भी अपनी मुहर लगा दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (Twitter) पर अपनी प्रतिक्रिया दी:
“हम राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ग़ज़ा संघर्ष को ख़त्म करने की व्यापक योजना का स्वागत करते हैं।”
PM मोदी ने इसे “स्थायी शांति, सुरक्षा और विकास” की दिशा में एक व्यवहारिक और दूरदर्शी पहल बताया है।
क्या है ट्रंप-नेतन्याहू की Gaza Peace Plan?
ट्रंप और इसराइली PM नेतन्याहू ने जो योजना पेश की है, उसके मुख्य बिंदु कुछ यूं हैं:
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ग़ज़ा में तत्काल सैन्य कार्रवाई रोकना
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हमास को 72 घंटे के भीतर 20 इसराइली बंधकों को रिहा करना
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मृत बंधकों के शव लौटाना (लगभग 20)
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आर्थिक सहयोग से ग़ज़ा का पुनर्निर्माण
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फिलिस्तीन और इसराइल के लिए दीर्घकालीन समाधान तैयार करना
ट्रंप बोले – “हमास इस प्रस्ताव को माने, तो अगला कदम शांति का होगा – युद्ध का नहीं।”
मोदी का मैसेज: “आओ सब मिलकर शांति बनाएं”
PM मोदी ने अपने संदेश में कहा कि “हमें उम्मीद है कि सभी संबंधित पक्ष ट्रंप की पहल के पीछे एकजुट होंगे और संघर्ष ख़त्म कर शांति सुनिश्चित करने के इस प्रयास का समर्थन करेंगे।”
भारत की यह प्रतिक्रिया साफ तौर पर यह दिखाती है कि New Delhi वेस्ट एशिया में स्थायित्व और संवाद की राजनीति को महत्व दे रहा है।
भारत की वेस्ट एशिया नीति: बैलेंस का गेम
भारत हमेशा से वेस्ट एशिया में एक “Neutral Yet Strategic Player” रहा है।

इसराइल से रक्षा और तकनीक में गहराई से जुड़े रिश्ते
फिलिस्तीन के साथ ऐतिहासिक समर्थन और मानवीय पक्ष
अरब देशों के साथ ऊर्जा और प्रवासी भारतीय संबंध
ऐसे में भारत का ट्रंप की पहल को समर्थन देना सिर्फ कूटनीतिक शिष्टाचार नहीं, बल्कि क्षेत्रीय शांति में संतुलनकारी भूमिका का संकेत है।
हमास के लिए शर्तें: “बात करनी है तो पहले बंधक छोड़ो”
शांति योजना में स्पष्ट किया गया है कि अगर हमास को इस प्रस्ताव का हिस्सा बनना है, तो उन्हें:
20 ज़िंदा बंधकों को रिहा करना होगा
मृतकों के शव लौटाने होंगे
हमले रोकने होंगे
यह ‘No Peace Without Responsibility’ वाली लाइन है – जहां राजनीतिक बातचीत से पहले मानवीय जिम्मेदारी तय की गई है।
क्या ये Middle East में Peace की नई शुरुआत हो सकती है?
भारत का समर्थन इस दिशा में एक अहम संकेत है कि विश्व समुदाय अब सिर्फ बयान नहीं, बुनियादी बदलाव चाहता है।
अगर सब पक्ष साथ आएं – तो ग़ज़ा में युद्ध की जगह उम्मीद की सुबह हो सकती है। वरना यह भी एक प्लान बन कर ‘Archive’ Folder में चला जाएगा।
‘Let There Be Peace!’ मुस्लिम देश बोले – ‘चलो अब कुछ अच्छा होने दो’”