कानपुर से मुंबई तक ‘I Love Muhammad’ पोस्टर विवाद: क्या है सच?

गौरव त्रिपाठी
गौरव त्रिपाठी

कानपुर से शुरू हुआ विवाद अब देश के अलग-अलग राज्यों में पहुंच चुका है। एक पोस्टर ने कैसे भड़का दी आग? जानिए हर पहलू इस रिपोर्ट में।

कानपुर में कैसे शुरू हुआ विवाद?

4 सितंबर को उत्तर प्रदेश के कानपुर में बारावफात के जुलूस के दौरान एक पोस्टर वायरल हुआ, जिस पर लिखा था: “I Love Muhammad”। इस पोस्टर को लेकर दो समुदायों के बीच कहासुनी और झड़प हुई।

पुलिस ने मौके पर पहुंचकर माहौल शांत किया लेकिन बाद में कुछ लोगों पर FIR दर्ज की गई। पुलिस का कहना है कि यह केस सिर्फ पोस्टर पर लिखे मैसेज को लेकर नहीं, बल्कि नई परंपरा शुरू करने और टेंट नई जगह लगाने को लेकर दर्ज हुआ।

मुस्लिम पक्ष का आरोप और प्रतिक्रिया

मुस्लिम पक्ष का दावा है कि उनके साइन बोर्ड फाड़े गए, जिससे भावनाएं आहत हुईं। AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने सोशल मीडिया पर कहा, “I Love Muhammad कहना जुर्म नहीं है, अगर है तो हमें इसकी सजा मंजूर है।”

उन्होंने कहा कि अगर मुस्लिम समुदाय ने मोहब्बत का पैग़ाम दिया है तो इसमें बुराई क्या है?

हिंदू पक्ष की नाराजगी और पुलिस की कार्रवाई

हिंदू पक्ष का आरोप था कि बारावफात के जुलूस में शामिल लोगों ने उनके धार्मिक पोस्टर फाड़े। पुलिस ने 9 नामजद और 15 अज्ञात लोगों पर मामला दर्ज किया। पुलिस का कहना है कि किसी भी धार्मिक आयोजन में नई परंपरा या विवादित संदेश की अनुमति नहीं है, और यही कारण है कि कार्रवाई की गई।

‘सिर तन से जुदा’ नारे और विरोध-प्रदर्शन

जैसे ही यह मामला सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, देशभर में प्रदर्शन शुरू हो गए — खासकर मुंबई, गुजरात और उत्तराखंड में। कई जगहों पर “I Love Muhammad” पोस्टर लेकर प्रदर्शनकारियों ने मार्च निकाला, वहीं कुछ जगहों पर “सिर तन से जुदा” जैसे विवादित नारे भी लगाए गए, जिससे माहौल और ज्यादा बिगड़ गया।

नेताओं के बयान और बढ़ता बवाल

इस विवाद में राजनीतिक रंग भी जुड़ गया। ओवैसी के बयान के बाद सपा और अन्य नेताओं ने भी मुस्लिम पक्ष का समर्थन किया। इससे मामला और ज्यादा तूल पकड़ गया।

सोशल मीडिया का रोल

Instagram, Facebook और X (Twitter) पर #ILoveMuhammad ट्रेंड करने लगा। लोगों ने इसे मोहब्बत का पैग़ाम बताया तो कई लोगों ने इसे जानबूझकर किया गया उकसावा माना।

क्या कहता है कानून?

भारत का संविधान धार्मिक स्वतंत्रता देता है, लेकिन सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने वाली गतिविधियों पर कानून सख्त है। पुलिस ने कार्रवाई इसी आधार पर की है कि कहीं भी नई परंपरा या आपत्तिजनक गतिविधि की अनुमति नहीं है।

पोस्टर से विवाद या माहौल खराब करने की कोशिश?

सवाल यही है कि क्या “I Love Muhammad” जैसा पोस्टर विवाद का कारण बन सकता है? या फिर यह सिर्फ एक बहाना है भावनाओं को भड़काने का?

त्योहारों से पहले माहौल को बिगाड़ने की कोशिश या धार्मिक विश्वास की अभिव्यक्ति — यह मुद्दा अब देशभर की चर्चा बन चुका है।

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