“डील हुई डन! हमास ने छोड़े बंधक, इसराइल देगा आज़ादी के बदले आज़ादी!”

Saima Siddiqui
Saima Siddiqui

गाज़ा में लंबे तनाव के बाद आखिरकार एक बड़ी डील के तहत हमास (Hamas) ने सभी ज़िंदा इसराइली बंधकों को रेड क्रॉस के ज़रिए इसराइली सेना को सौंप दिया है। जबकि मृत बंधकों के शव बाद में सौंपे जाएंगे।

इसराइली सेना (IDF) और मीडिया की रिपोर्ट्स के अनुसार, 13 इसराइली बंधकों का दूसरा समूह दक्षिणी ग़ज़ा से सुरक्षित इसराइल पहुंच चुका है।

रेड क्रॉस ने निभाई अहम भूमिका

रेड क्रॉस के अधिकारी ग़ज़ा के ख़ान यूनिस से बंधकों को लेकर इसराइल पहुंचे। इस पूरे ऑपरेशन में इसराइल की एयरफोर्स ने दो हेलिकॉप्टरों की तैनाती की।

गाज़ा से लौटते ही बंधकों को एक “Welcome Kit” दी गई, जिसमें:

  • लैपटॉप
  • मोबाइल फ़ोन
  • टैबलेट
  • कपड़े
  • इसराइली पीएम नेतन्याहू व उनकी पत्नी का व्यक्तिगत पत्र

इस पत्र में लिखा गया था:

इसराइल के सभी लोगों की तरफ़ से आपका स्वागत है! हम आपका इंतज़ार कर रहे थे।

इसराइल अब रिहा करेगा 1,718 फ़लस्तीनी क़ैदी

इस मानवीय समझौते के तहत इसराइल को लगभग 250 फ़लस्तीनी क़ैदियों और 1,700+ बंदियों को रिहा करना होगा। इस कदम को लेकर इसराइल की जनता भी दो हिस्सों में बंटी हुई है — कुछ इसे शांति की ओर क़दम मानते हैं, तो कुछ इसे जोखिम।

पहली तस्वीरें आईं सामने

आईडीएफ द्वारा जारी की गई तस्वीरों में अलोन ओहेल को इसराइली सैनिकों से गले मिलते देखा गया। जुड़वां भाई गली और ज़िव बर्मन एक-दूसरे को गले लगाते दिखे।

नेपाली छात्र बिपिन जोशी अब भी लापता

गौरतलब है कि अब तक नेपाली छात्र बिपिन जोशी, जिन्हें हमास ने 7 अक्टूबर 2023 को बंधक बनाया था, उनकी रिहाई की कोई सूचना नहीं है। वह इसराइल में एग्रीकल्चर की पढ़ाई कर रहे थे।

इंटरनेशनल मूवमेंट: ट्रंप और स्टार्मर की सक्रियता

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी इसराइल के लिए रवाना हो गए हैं। उन्होंने कहा:

ग़ज़ा में जंग ख़त्म हो गई है। हम सभी को ख़ुश रखेंगे — यहूदी, मुस्लिम या अरब देश।

इसराइल के बाद ट्रंप मिस्र में एक अहम बैठक में भाग लेंगे, जहां ब्रिटेन के प्रधानमंत्री किएर स्टार्मर पहले ही पहुंच चुके हैं।

इंसानियत की ओर छोटा मगर मजबूत क़दम

बंधकों की रिहाई और क़ैदियों की अदला-बदली से यह स्पष्ट है कि दोनों पक्ष शांति की तरफ़ symbolic ही सही, पर एक मजबूत पहल कर रहे हैं।
जहां रेड क्रॉस की भूमिका सराहनीय रही, वहीं यह सवाल अब भी बाकी है — क्या यह स्थायी शांति की शुरुआत है, या सिर्फ़ एक अस्थायी विराम?

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