
नेपाल सरकार ने बजट 2025-26 में सोने और उसके गहनों की हर तरह की बिक्री पर 2% लग्ज़री टैक्स लगाने का फैसला किया है। वित्त मंत्री विष्णु पौडेल ने कहा कि यह कदम राजस्व बढ़ाने के लिए उठाया गया है। लेकिन कारोबारी वर्ग इससे बुरी तरह चिढ़ गया है।
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कारोबारी बोले: टैक्स नहीं, तस्करी को बढ़ावा है ये!
नेपाल गोल्ड एंड सिल्वर एसोसिएशन के उपाध्यक्ष धर्म सुंदर वज्राचार्य ने कहा:
“हमारे देश में सोना कोई विलासिता की चीज़ नहीं है। लोग इसे सांस्कृतिक, धार्मिक और बचत के रूप में देखते हैं।”
उनका मानना है कि ये टैक्स सीधे-सीधे तस्करी को बढ़ावा देगा, क्योंकि दुबई और भारत में सोना पहले ही सस्ता है।
दुबई में 30 हज़ार सस्ता, तो तस्करी का खेल तय!
दुबई में एक तोला सोना (11.66 ग्राम) नेपाल के मुकाबले 30,000 नेपाली रुपये सस्ता है। ऐसे में अंतरराष्ट्रीय तस्कर और लोकल नेटवर्क दोनों के लिए मुनाफे का सौदा तैयार हो गया है।
नेपाल और भारत के बीच खुली सीमाएं, साथ ही दुबई से आने-जाने वाली उड़ानों के कारण सोने की स्मगलिंग पहले से ही एक बड़ा रैकेट है, जिसे अब ये टैक्स ‘सुनहरा मौका’ देगा।
पहले भी टैक्स लगा था, अब सीमा हटाकर सब पर लगाया जाएगा
इससे पहले 10 लाख से अधिक की खरीद पर टैक्स लागू था। लेकिन अब यह सीमा हटा दी गई है, यानी अब छोटी से छोटी खरीद पर भी टैक्स लगेगा। इससे न सिर्फ कीमतें बढ़ेंगी बल्कि आम खरीदार भी प्रभावित होगा।
सरकार का तर्क: राजस्व बढ़ाओ, टैक्स से भरोसा जगाओ?
नेपाल सरकार ने इस टैक्स से 43.42 करोड़ नेपाली रुपये का अतिरिक्त राजस्व इकट्ठा करने का लक्ष्य रखा है। लेकिन ये आंकड़े सुनकर कारोबारियों के माथे पर चिंता की लकीरें और गहरी हो गई हैं।

नेपाल-भारत-दुबई: तस्करी का नया ट्राएंगल?
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नेपाल-भारत सीमा पर पहले से स्मगलिंग एक्टिव है
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दुबई से सस्ते सोने की आमद लगातार बढ़ रही
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नेपाल की कस्टम ड्यूटी 10%, जबकि भारत में सिर्फ 6%
इतना टैक्स कौन देगा, जब सीमा पार सस्ता सोना खुले आम मिल रहा है? यही वजह है कि तस्करी के रास्ते खुलते दिख रहे हैं।
जनता vs सरकार: किसकी समझ सही?
सरकार कह रही है कि इससे लग्ज़री आइटम्स पर नियंत्रण होगा। लेकिन जनता और व्यापारी कह रहे हैं कि “ये टैक्स नहीं, सोने पर सजा है।” क्योंकि सोना सिर्फ आभूषण नहीं, शादी-ब्याह, पूजा-पाठ और बचत का हिस्सा है।
टैक्स की ‘चमक’ तस्करी के अंधेरे में?
नेपाल सरकार के इस कदम से जहां एक ओर सरकारी खजाने को फायदा हो सकता है, वहीं काला बाज़ार और अंतरराष्ट्रीय तस्करी को अप्रत्याशित बढ़ावा भी मिल सकता है।
अब देखना ये है कि क्या सरकार इस टैक्स नीति में बदलाव लाती है या तस्कर इसे ‘गोल्डन चांस’ मानकर फायदा उठाते हैं।
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