
महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस अब सख्ती के मूड में हैं। मंत्रियों के बार-बार विवादों में घिरने और बयानबाज़ी करने से परेशान होकर, उन्होंने “चुप रहो और काम करो” योजना लागू कर दी है — गैर-आधिकारिक लेकिन बेहद प्रभावशाली!
कैबिनेट मीटिंग या क्लासरूम?
सूत्र बतावत हैं कि मंगलवार के कैबिनेट मीटिंग के बाद फडणवीस जी का मूड थोड़ा गड़बड़ हो गया। उन्होंने अफसरों को बाहर भेज के “मंत्रियों की क्लास” ले ली। लगभग 30 मिनट तक सीएम ने समझाया –
“मीडिया में बयानबाज़ी बंद करो, विकास की ओर ध्यान दो। बयान से छवि बिगड़ती है, काम से इमेज बनती है।”
“बोलना कम, करना जादे” – नया राजकीय मंत्र!
फडणवीस ने एकदम शिक्षक स्टाइल में चेतावनी दी –
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फालतू बयान नहीं!
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मीडिया में खुद को सेलिब्रिटी मत समझो!
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विवाद खड़ा मत करो, समाधान लाओ!
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गलती दोहराई तो कुर्सी से विदाई तय!
अब समझिए गड़बड़ी का ग्राफ
कुछ मंत्री बड़का विवाद में फँस चुकल बा:
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संजय शिरसाट – बेटे के होटल में नोट गिनती हो रहल रहे।
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योगेश – रेत खनन से डांस बार तक, माँ के नाम पर लफड़ा!
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संजय राठौड़ – विभाग में भर्ती खेला चल रहल बा।
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दादाजी भूसे – भर्ती प्रक्रिया में ऐसा बखेड़ा कि UPSC भी चौंक जाए।
राजनीति या बिग बॉस? “हर हफ्ते कोई नया विवाद”
महाराष्ट्र की राजनीति में अब बुलेट ट्रेन नहीं, कांड एक्सप्रेस चल रही है। एक मंत्री विवाद सुलझाता है, तब तक दूसरा नया स्टंट मार देता है। फडणवीस जी अब ठान लिए हैं – “न शो, न शोर… बस रिजल्ट दो, वरना दरवाज़ा देखो!”
“कुर्सी बचानी है तो ध्यान लगाओ… TV से नहीं, टीम से जुड़ो!”
अब मंत्रियों को ये समझना ज़रूरी है कि सिर्फ चेहरे चमकाने से राजनीति नहीं होती, काम दिखाना पड़ता है। और अगर सीएम खुद 30 मिनट बैठकर क्लास लगा रहे हैं, तो समझ लीजिए – “इससे पहले कि जनता टीसी कर दे, काम शुरू कर दो!”
राजनीति में छवि सबसे बड़ा कैपिटल होता है। देवेंद्र फडणवीस ने ये साफ कर दिया है कि अगर सरकार की ब्रांडिंग पर बट्टा लगा, तो अगली कैबिनेट में चेहरा बदल सकता है।
काम ही करियर बचा सकता है – और बयानबाज़ी सिर्फ टीआरपी दिला सकती है, वोट नहीं!