
महाराष्ट्र की राजनीति में दाल से निकला नया तड़का अब तक ठंडा नहीं हुआ है। थप्पड़ की गूंज इतनी ज़ोरदार थी कि अब डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे खुद सामने आ गए हैं। बिना नाम लिए शिंदे ने अपने ‘परिवार’ के कुछ विधायकों को साफ़-साफ़ कहा – “अगर आप कुछ ऊल-जुलूल करोगे, तो बदनामी मेरी होगी!”
रेट्रो रिव्यू: “वो कौन थी?” – और आज तक किसी को नहीं पता
शिंदे बोले- मैं बॉस नहीं हूं!
एमएलए हॉस्टल की कैंटीन में मिली बासी दाल पर एक कर्मचारी को विधायक संजय गायकवाड़ ने थप्पड़ मार दिया। पूछे जाने पर बोले – “फिर ऐसा करूंगा!” शिंदे ने जवाबी तड़ाका देते हुए कहा – “गुस्से को कंट्रोल में रखो, वरना कुर्सी से नीचे आ जाओगे।”
“पद नहीं, पहले कार्यकर्ता हो!”
शिंदे का फोकस साफ़ था – “मैं बॉस नहीं, कार्यकर्ता हूं। आप भी वही रहो। काम ज़्यादा करो, मुँह ज़्यादा मत खोलो। वरना जनता बोलेगी – ये किसने चुन लिया?”
चेतावनी स्टाइल में इमोशनल ड्रामा
शिंदे का कहना था, “मुझे अपनों पर कार्रवाई करना पसंद नहीं, लेकिन मजबूर मत करो!” यानी अगर विधायक दोबारा थप्पड़मार ब्रिगेड में शामिल हुए तो पार्टी चाय-सुपारी से आगे की सोच सकती है।
पार्टी की सफलता = ज़िम्मेदारी, ना कि गुरूर
“आप जीत गए हो, ठीक है। लेकिन अब आपको हर कदम फूंक-फूंककर रखना है। जांच-पड़ताल बढ़ेगी। विपक्ष बैठे-बैठे क्लिप काट रहा है!”
दाल में कुछ काला हो या बासी, थप्पड़ मारना सॉल्यूशन नहीं है। एकनाथ शिंदे ने अपनी पार्टी को याद दिलाया कि वो सिर्फ विधायक नहीं, जनता के सेवक हैं। और अगर अब भी नहीं समझे… तो अगली प्रेस कॉन्फ्रेंस में दाल के साथ चटनी भी परोसी जा सकती है।