
13 मई की सुबह-सुबह जब आम लोग चाय की चुस्कियों में व्यस्त थे, तभी भारतीय सेना शोपियां ज़िले के केल्लर जंगलों में आतंक के पत्ते उखाड़ने में लगी थी। सेना ने बताया कि उन्हें खुफिया जानकारी मिली थी कि कुछ आतंकवादी इस इलाके में “पिकनिक” मनाने नहीं, बल्कि “प्लानिंग” करने आए हैं। इसके बाद राष्ट्रीय रायफल्स, पुलिस और CRPF ने मिलकर इलाके को घेर लिया।
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“फायरिंग में जवाब वही देता है जो बचना नहीं चाहता” – सेना की करारी प्रतिक्रिया
जैसे ही सेना ने आगे बढ़कर तलाशी शुरू की, आतंकियों ने फायरिंग शुरू कर दी।
मगर सेना भी “वर्क फ्रॉम जंगल” मोड में थी – जवाबी कार्रवाई में तीन आतंकवादी ढेर कर दिए गए।
सेना की मानें तो ये तीनों “A++ कैटेगरी” वाले चरमपंथी थे – यानी जो AK-47 से लेकर आतंकवाद तक की मास्टर डिग्री रखते थे।
ऑपरेशन अभी जारी, जंगल से अब शांति लाने की कोशिश
भारतीय सेना ने बताया कि ऑपरेशन अभी भी जारी है – क्योंकि जम्मू-कश्मीर के जंगलों में शांति बहाल करने के लिए हर पेड़ के पीछे छुपे डर को ध्वस्त करना जरूरी है।
सेना का बयान साफ़ है:
“हम तब तक नहीं रुकेंगे जब तक आखिरी बंदूक या आखिरी बंकर भी खामोश न हो जाए।”
जंगल में मंगल नहीं, सेना का सर्जिकल सिंगल!
इन आतंकियों को शायद लगता था कि जंगल में छिपकर वे Hide & Seek का गेम खेलेंगे। पर भारतीय सेना अब सिर्फ सर्च नहीं करती – वो “लोकेट, एंगेज, एलिमिनेट” करती है।
आतंकियों के लिए ये जंगल अब आरामगाह नहीं, बल्कि “सेना का GPS-लाइव ट्रैप” बन चुका है।
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