“काबा-मदीना इन दुर्गा पूजा? भाजपा बोली – ये दुर्गा पूजा है या वोट पूजा?”

साक्षी चतुर्वेदी
साक्षी चतुर्वेदी

कोलकाता में जहां चारों तरफ शंख, ढाक और देवी के जयकारे गूंज रहे हैं, वहीं एक दुर्गा पंडाल से आई एक अलग ही “ध्वनि” ने माहौल गरमा दिया।
‘काबा-मदीना’ गीत की धुन दुर्गा मां के मंच के पास बजने लगी — और BJP की राजनीति में जैसे डीजे बज गया।

BJP का आरोप: “ये देवी पूजा है या वोट बैंक की वंदना?”

BJP प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि ममता बनर्जी की मौजूदगी में ऐसा गीत चलना सिर्फ संगीत नहीं, “संकेत” है- 
एक संकेत सनातन संस्कृति के हाशिये पर जाने का, और तुष्टिकरण के केंद्र में आने का।

उन्होंने पूछा —“क्या दुर्गा पूजा अब ऐसी जगह बन गई है, जहां बाकी धर्मों की महिमा का मंचन हो और हिंदू परंपरा पीछे छूट जाए?”

बुकर्स से बुकर तक पहुंची बहस

त्रिवेदी ने कर्नाटक के मैसूरु में मुस्लिम लेखिका बानू मुश्ताक द्वारा दशहरा उद्घाटन की मिसाल देते हुए इसे “इंडिया गठबंधन के तहत सनातन उन्मूलन प्रोजेक्ट” का हिस्सा बताया। यानि अब किताबें भी राजनीति में कवर पेज बन गई हैं।

TMC का मौन = स्वीकृति?

बीजेपी का कहना है कि ममता बनर्जी की चुप्पी दिखाती है कि वो इस ‘गीत चयन’ से नाखुश नहीं, बल्कि शायद राजनीतिक रूप से उत्साहित थीं।

भाजपा IT सेल प्रमुख अमित मालवीय ने भी ट्वीट कर ममता बनर्जी को आड़े हाथों लिया:

“क्या ममता दीदी को वाकई दुर्गा पूजा समझ आती है या ये सिर्फ एक और ‘फेस्टिवल’ है वोटर्स को ‘इंप्रेस’ करने का?”

‘ऑपरेशन सिंदूर’ से ममता को सिंदूर नहीं भाया?

त्रिवेदी ने आरोप लगाया कि एक पंडाल ने “ऑपरेशन सिंदूर” (जो महिलाओं की शक्ति का प्रतीक था) को हाइलाइट करना चाहा, तो उसे सरकारी फंडिंग से वंचित कर दिया गया।
कहने का मतलब – “जब तक पूजा में राजनीति का गुलाल नहीं होगा, तब तक अनुदान का सिंदूर नहीं मिलेगा।”

राहुल गांधी की फ्लाइट- उड़ाया मज़ाक

त्रिवेदी ने मुद्दे को और आगे बढ़ाते हुए राहुल गांधी की विदेश यात्रा पर भी कटाक्ष किया:

“राहुल जी फिर विदेश चले गए हैं। अब देखना है वहां से क्या नए भारत-विरोधी विचार लाकर आते हैं।”

कांग्रेस को हर प्रोजेक्ट में जलन?

मोदी के ओडिशा दौरे और विकास योजनाओं पर भी कांग्रेस की आलोचना का जवाब मिला:

“वो न सरकार में हैं, न विपक्ष में, सिर्फ हर उपलब्धि में जलन में हैं।”

दुर्गा पूजा में ‘काबा-मदीना’ बजाना सांस्कृतिक संवाद है या राजनीतिक साजिश – यह अब पूरे देश में बहस का मुद्दा बन गया है। जहां एक पक्ष इसे सर्वधर्म समभाव कहता है, वहीं दूसरा पक्ष इसे हिंदू परंपराओं की अवहेलना

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