टी-शर्ट पहनिए, अफ़सर बनिए — Drishti IAS ने खोल लिया मॉल

आशीष शर्मा (ऋषि भारद्वाज)
आशीष शर्मा (ऋषि भारद्वाज)

कभी UPSC की तैयारी तपस्या मानी जाती थी, अब वही तैयारी कॉटन पॉलिएस्टर मिक्स में आती है — साइज M, L, और XL में। जहाँ पहले “Notes” हाथ में होते थे, अब “Limited Edition Polo T-shirt” शॉपिंग कार्ट में होती है।

Drishti IAS ने जिस दिन मर्चेंडाइज़ लॉन्च किया, उसी दिन सिलेबस ने आत्महत्या कर ली।

“अब किताब नहीं, कपड़ा बताता है कौन aspirant है!”

पहले कोचिंग सेंटर में बच्चों की पहचान उनकी मेहनत से होती थी, अब उनकी पहचान कॉलर के लोगो से होती है।
जितना मोटिवेशन लिखते थे उतना अब प्रिंट कराते हैं। क्लासरूम में अब GS नहीं पढ़ाया जाता, बल्कि सिखाया जाता है — “कैसे सही ऐंगल में फोटो खिंचवाएँ ताकि टी-शर्ट का लोगो दिखे।”

Knowledge optional है, Brand visible होना ज़रूरी है।

“Drishti Wear – जहाँ Selection से पहले Selfie आती है”

Drishti IAS की इस ‘ब्रांडेड क्रांति’ ने Education Industry को याद दिला दिया — “तैयारी अब पसीने से नहीं, कपड़े से पहचानी जाती है।”

कभी सपनों में सिलेबस दिखता था, अब सपनों में आता है – ‘अभी ऑर्डर करें’ बटन। कपड़ा भी ऐसा कि लग रहा है जैसे Success Dry Fit हो गई हो।

“Hard Work अब Packaging में आता है”

टी-शर्ट के साथ नया मोटिवेशन स्लोगन भी है –“हार मानना नहीं जानते।” लेकिन असलियत ये है – “बस ऑर्डर कैंसिल करना नहीं जानते!”

अस्पिरेंट्स कहते हैं – “सर, syllabus tough है।” कोचिंग कहती है – “तो थोड़ा आराम से पढ़ो, ये आरामदायक फैब्रिक पहनकर।”

अब सिलेबस नहीं पूरा होता, बल्कि cart value पूरी करनी पड़ती है।

“शिक्षा नहीं, फैशन का नया पाठ्यक्रम”

अब UPSC तैयारी नहीं, ‘UPSC Look’ सिखाई जाती है। Drishti IAS की नई टी-शर्ट देखकर लगता है कि अगली किताब का नाम होगा — ‘Polity by Polo’ या ‘Ethics & Attire’

कौन कहता है शिक्षा बिक नहीं सकती? आज वो Amazon cart में neatly folded रखी है।

“कोचिंग सेंटर या क्लोदिंग ब्रांड?”

Drishti अब ‘ज्ञान का मंदिर’ नहीं, ‘Prepwear Boutique’ बन गया है। शायद अब क्लासरूम में बोर्ड पर लिखा होता है – “आज की क्लास: Polity नहीं, Polyester।”

पढ़ाई का स्तर गिरा नहीं, press किया गया है। Ironed, branded, folded – just like our fake seriousness.

“ग्रामीण छात्रों के लिए भी मॉल वाली पढ़ाई”

गाँव से आने वाले aspirants सोचते थे – “IAS बनेंगे।” अब सपना अपडेट हो गया है – “Drishti वाली टी-शर्ट पहनेंगे।”

माँ पूछती है – “बेटा, रिज़ल्ट आया?” बेटा कहता है – “नहीं माँ, टी-शर्ट आ गई।”

अब शिक्षा नहीं, “Look Completion” ज़रूरी है।

“पढ़ाई अब syllabus में नहीं, shelf में होती है।” “ज्ञान अब किताबों से नहीं, कैटलॉग से मिलता है।” “Success अब पहनी जाती है — और Failures wash care label में छिपे हैं।”

कोचिंग वालों ने ‘Education’ को ‘E-commerce’ में बदल दिया है, जहाँ बच्चा अब Student नहीं, Subscriber है।
Drishti IAS ने बस इतना किया है —“Knowledge को Logo बना दिया।”

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