Trump Vs China: टैरिफ की डेडलाइन बढ़ी, मंदी टली या राजनीति?

गौरव त्रिपाठी
गौरव त्रिपाठी

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन पर लगाए गए टैरिफ की समय सीमा को 90 दिनों के लिए बढ़ा दिया है। यह निर्णय ऐसे समय में लिया गया है जब अमेरिका-चीन व्यापार तनाव चरम पर था, और वैश्विक बाजारों में मंदी की आशंका गहराने लगी थी।

ट्रंप के इस कदम को कई विशेषज्ञों ने रणनीतिक नरमी बताया है, जिससे बाजारों को अस्थिरता से राहत मिली और राजनीतिक रूप से भी फायदा नजर आया।

चीन-अमेरिका के बीच कैसे घटा टैरिफ टकराव?

  • अप्रैल 2025 में अमेरिका ने चीनी वस्तुओं पर 145% टैरिफ की धमकी दी।

  • जवाब में चीन ने 125% टैरिफ लगा दिए।

  • मई में जिनेवा में हुई बैठक में दोनों देश टैरिफ घटाने पर सहमत हुए।

  • अमेरिका ने टैरिफ को घटाकर 30%, जबकि चीन ने 10% कर दिया।

  • इसके बाद व्यापार वार्ताएं स्टॉकहोम और जिनेवा में जारी रहीं।

इसका परिणाम है – डेडलाइन एक्सटेंशन। इससे डील फाइनल करने के लिए समय मिल गया है और अचानक लागू होने वाले टैरिफ से आर्थिक झटका टला।

ट्रंप की “लचीलापन नीति” – मजबूरी या राजनीति?

व्हाइट हाउस अधिकारियों के मुताबिक, यह फैसला मध्यरात्रि से कुछ घंटे पहले लिया गया, ताकि नई टैरिफ समय सीमा टाली जा सके।

ट्रंप ने कहा,

“चीन के साथ बातचीत अच्छी चल रही है। हम देखेंगे आगे क्या होता है।”

JD वेंस, अमेरिकी उप-राष्ट्रपति, ने माना कि यह फैसला राजनीतिक और आर्थिक रूप से संवेदनशील है।

इससे साफ होता है कि ट्रंप फिलहाल तनाव बढ़ाने की बजाय कूटनीति को प्राथमिकता दे रहे हैं।

भारत पर 50% टैरिफ की धमकी – रिश्तों में खटास?

ट्रंप प्रशासन भारत के खिलाफ भी आक्रामक दिखाई दे रहा है। उन्होंने भारत पर 50% टैरिफ लगाने की बात कही है।

यह बयान ऐसे समय में आया है जब अमेरिका और भारत के बीच टेक, रक्षा और ट्रे़ड को लेकर रिश्ते सामान्य नहीं हैं। यह कूटनीतिक स्तर पर भारत-अमेरिका संबंधों में तनाव की ओर इशारा करता है।

वैश्विक बाजारों के लिए राहत की खबर

टैरिफ डेडलाइन बढ़ने से वैश्विक मंदी का खतरा टल गया है। यदि टैरिफ तत्काल लागू होते तो:

  • सप्लाई चेन बाधित होती

  • निवेशकों का भरोसा गिरता

  • शेयर बाजारों में भारी गिरावट आती

डेडलाइन बढ़ाकर ट्रंप ने व्यापारिक संगठनों और GOP नेताओं के दबाव को भी साधा है।

ट्रंप का टैरिफ डेडलाइन बढ़ाना केवल आर्थिक रणनीति नहीं, बल्कि एक राजनीतिक चाल भी है – जो उन्हें चुनावी फायदे और कूटनीतिक लचीलापन दोनों देता है।

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