
गुजरात के गांधीनगर में एक वरिष्ठ नागरिक को “डिजिटल अरेस्ट” की धमकी देकर ठगों ने उनकी जीवनभर की कमाई – पूरे ₹19.24 करोड़ – 3 महीनों में 30 अलग-अलग खातों में उड़ा दिए। जी हां, ये ठगी सिर्फ तकनीक से नहीं, डर के मनोविज्ञान से की गई।
जिन्होंने “ब्लैकमेलिंग” का नया लेवल देखा है, अब वो “डिजिटल अरेस्ट” का ट्रेलर भी देख लें।
30 खातों की कुंडली और एक बड़ा साइबर गिरोह
इस घोटाले में आरोपी व्यक्ति लालजी बलदानिया को सूरत से गिरफ्तार किया गया है, जो ठगों के लिए बैंक खाते मुहैया कराता था। उसने कबूल किया कि वो नोएडा के एक साइबर गैंग से जुड़ा हुआ था। यानी ठग गुजरात से फोन करते हैं, पैसा नोएडा पहुंचता है और मासूम बुज़ुर्ग बेचारा बैंक की लाइन में अपनी FD तोड़वाता है।
अब तो शायद “बुजुर्ग सम्मान योजना” में OTP ट्रेनिंग भी शामिल करनी पड़े।
डिजिटल धमकी का नया दौर: “Pay or be Arrested!”
ठगों ने खुद को पुलिस अधिकारी या सरकारी एजेंट बताकर कहा – “आपके खिलाफ केस है। डिजिटल गिरफ्तारी हो सकती है। तुरंत पैसा जमा करिए।” डराया ऐसा कि बुजुर्ग ने 3 महीनों तक पैसे ट्रांसफर किए और सोचा – “शायद अगला कॉल जेल से न हो!”
CID की जांच: भारत के बैंक, यूपी के ठग और बुजुर्ग का खाता
CID साइबर सेल के SP धर्मेंद्र शर्मा के अनुसार, यह एक अंतरराज्यीय गिरोह है, और अभी तक अंतरराष्ट्रीय कनेक्शन की पुष्टि नहीं हुई है। लेकिन ये कहानी साफ कहती है – आजकल “फोन पे” पैसा नहीं, भरोसा उड़ाया जाता है।
साइबर फ्रॉड से बचने के Top 7 स्मार्ट उपाय:
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कोई भी सरकारी एजेंसी कभी भी फोन पर पैसे नहीं मांगती।
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अगर “डिजिटल अरेस्ट” जैसी धमकी मिले, तुरंत 1930 पर शिकायत करें।
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अनजान नंबर से कॉल आए तो पहले सोचें, फिर बोलें।
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KYC अपडेट, सस्पेंडेड अकाउंट, या PAN लिंकिंग की धमकी से सावधान रहें।
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Google या WhatsApp से मिले नंबर पर भरोसा न करें।
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फोन पर कभी OTP या बैंक डिटेल्स साझा न करें।
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साइबर सुरक्षा के सरकारी पोर्टल www.cybercrime.gov.in पर अलर्ट रहें।
इस ठगी ने हमें एक सिखाया – डिजिटल इंडिया तो बन गया, अब “डिजिटल बुद्धि” भी ज़रूरी है। नहीं तो ठग सिर्फ हमारा पैसा नहीं, भरोसा भी टेक्स्ट मैसेज में चुरा लेंगे।