
दिल्ली के लाल किले के पास हुए ब्लास्ट केस में अब एक बड़ा और चौंकाने वाला मोड़ सामने आया है। जिस हुंडई i20 कार में धमाका हुआ था, उसके अंदर जो शव मिला था — वह किसी और का नहीं, बल्कि आतंकी डॉ. उमर का ही था।
DNA टेस्ट रिपोर्ट ने इस रहस्य से पर्दा उठा दिया है। अब साफ हो गया है कि उमर ही इस साजिश का मास्टरमाइंड और खुद सुसाइड अटैकर था। और इस पूरे ऑपरेशन का हैंडलर तुर्की के अंकारा से UKASA नाम का शख्स था,
जो “Session App” के जरिए आतंकियों से बात करता था।
मां-भाई से मैच हुआ DNA — सच सामने आया
जांच एजेंसियों के मुताबिक, उमर की मां और भाई के DNA सैंपल्स लेकर उन्हें शव के दांत, हड्डियों और बालों से मैच किया गया। नतीजा — 100% मैच! यानि कार में जो शव था, वो उमर का ही था।
वही उमर जिसने फरीदाबाद टेरर मॉड्यूल के लिए काम किया और धमाके से पहले अल-फलाह यूनिवर्सिटी के आसपास संदिग्ध गतिविधियां की थीं।
दबाव में बना सुसाइड अटैकर
एजेंसी सूत्रों के अनुसार, जब पुलिस ने जम्मू-कश्मीर और हरियाणा में इस टेरर नेटवर्क की नाकाबंदी शुरू की, तो उमर पर गिरफ्तारी का दबाव बढ़ गया।
डर और कट्टरपंथी सोच के चलते उसने खुद को ही “सुसाइड अटैकर” बना लिया। वो जानता था कि पुलिस करीब है, इसलिए लाल किला के पास कार में बैठकर खुद को उड़ा लिया।
उमर का परिवार पहले से जानता था कि वह कट्टरपंथी बन चुका है, लेकिन डर के कारण उन्होंने पुलिस को कुछ नहीं बताया।

तुर्की कनेक्शन — ब्रेनवॉश से ब्लास्ट तक
सूत्र बताते हैं कि मार्च 2022 में उमर अंकारा गया था, जहां UKASA नाम के हैंडलर ने उसका ब्रेनवॉश किया। वहां से ही उसे “ऑपरेशन दिल्ली” का टास्क मिला। संपर्क में रहने के लिए एन्क्रिप्टेड ऐप Session का इस्तेमाल किया गया, जहां “Shipment” और “Package” जैसे कोड वर्ड्स में विस्फोटक और हथियारों की बातें होती थीं।
अब NIA करेगी पूरी जांच
प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में हुई CCS (Cabinet Committee on Security) की बैठक में इस हमले को “आतंकी हमला” घोषित कर दिया गया है। अब इस केस की जांच NIA को सौंपी गई है, जो जल्द ही पूरे नेटवर्क का खुलासा करेगी।
NIA सूत्रों के अनुसार, यह अब तक का सबसे खतरनाक “White Collar Terror Module” है — जहां डॉक्टर, इंजीनियर और साइबर विशेषज्ञ जैसे लोग शामिल हैं।
“कट्टरपंथ की चिंगारी ने डॉक्टर को आतंकी बना दिया, और साइंस की किताब छोड़ वो बम की थ्योरी पढ़ने लगा।” दिल्ली ब्लास्ट ने दिखा दिया कि अब टेरर सिर्फ जंगलों से नहीं, लैब और यूनिवर्सिटी से भी निकल रहा है।
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