“वोट चोरों से आज़ादी!” कांग्रेस बोली – मणिपुर में अब चाहिए जनता की सरकार

Lee Chang (North East Expert)
Lee Chang (North East Expert)

मणिपुर में जारी हिंसा, अव्यवस्था और संवैधानिक संकट को देखते हुए कांग्रेस पार्टी ने राज्य में तुरंत विधानसभा चुनाव कराने की माँग की है। पार्टी ने कहा कि “अब केवल नया जनादेश ही मणिपुर को स्थिरता और शांति की राह पर ला सकता है।”

‘वोट चोर, गद्दी चोर’ रैली में गरजे कांग्रेस नेता

इम्फाल में आयोजित ‘वोट चोर, गद्दी चोर’ नामक राज्य स्तरीय रैली में पार्टी के वरिष्ठ नेता और मणिपुर के AICC प्रभारी सप्तगिरि शंकर उलाका ने बीजेपी सरकार पर सीधा हमला बोला। उन्होंने कहा:

“हमारी मांग सीधी और स्पष्ट है – मणिपुर में फौरन चुनाव कराओ, ताकि जनता अपनी नई सरकार चुन सके। अभी यहां कोई समाधान नहीं है, कोई शांति नहीं है।”

उलाका ने आगे कहा कि कांग्रेस मणिपुर के लोगों के साथ खड़ी है और शांति तथा लोकतंत्र की वापसी सुनिश्चित करेगी।

राष्ट्रपति शासन पर उठाए सवाल

उलाका ने यह भी बताया कि भाजपा और सहयोगी दलों के पास 60 में से 55 सीटें होने के बावजूद मणिपुर फरवरी 2025 से राष्ट्रपति शासन के अधीन है, जो स्पष्ट रूप से जनादेश का अपमान है।

उन्होंने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए पूछा –

“प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अब तक मणिपुर क्यों नहीं आए? वे चुप क्यों हैं?”

जबकि राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे कई बार राज्य का दौरा कर चुके हैं।

10 करोड़ हस्ताक्षरों का राष्ट्रीय अभियान

कांग्रेस ने ऐलान किया कि 15 सितंबर से 15 अक्टूबर तक देशभर में एक विशाल हस्ताक्षर अभियान चलाया जाएगा।

  • लक्ष्य: 10 करोड़ हस्ताक्षर

  • जिन्हें भारत के राष्ट्रपति और चुनाव आयोग को सौंपा जाएगा

  • मकसद: मणिपुर में लोकतंत्र की बहाली

‘संविधान का सबसे बड़ा उल्लंघन हुआ है मणिपुर में’

AICC सचिव क्रिस्टोफर तिलक ने भी इस मौके पर बीजेपी सरकार पर तीखा प्रहार करते हुए कहा:

“मणिपुर में संविधान का सबसे ज़्यादा उल्लंघन हुआ है। यहां न केवल शांति खत्म हुई है, बल्कि लोकतांत्रिक अधिकारों की भी हत्या हुई है।”

उन्होंने दावा किया कि भाजपा सरकार की नीतियां पूरी तरह से जनविरोधी और असंवैधानिक हैं।

कांग्रेस का ऐलान – जब तक चुनाव नहीं, तब तक संघर्ष जारी रहेगा

कांग्रेस ने दोहराया कि वह चुनाव की घोषणा और लोकतांत्रिक सरकार की बहाली तक यह मुद्दा हर मंच पर उठाती रहेगी।
पार्टी ने इसे “जनता के अधिकारों की लड़ाई” बताया है, और जनता से इसमें सक्रिय भागीदारी की अपील की है।

क्या मणिपुर की चुप्पी अब वोट में बदलेगी?

राजनीतिक पंडित मान रहे हैं कि मणिपुर की मौजूदा स्थिति को देखते हुए चुनाव की मांग वाजिब है। पर क्या केंद्र सरकार इस दबाव में झुकेगी? या मणिपुर की चुप्पी 2025 चुनाव में भाजपा को करारा जवाब देगी?

जनता के हाथ में अब सिर्फ़ एक हथियार बचा है – उनका वोट।

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