
बिहार में साल 2025 के आखिरी महीना में होने वाला विधानसभा चुनाव धीरे-धीरे गरमाने लागल बा। हर पार्टी अपने-अपने खेमे के मजबूत करे में लगल बा। एही बीच लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान के बयान से बिहार के सियासी गलियारा में नया चर्चा छिड़ गइल बा।
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“नवादा में मिलल भतीजा, बाकि राजनीति के दरवाजा बंद बा”
हाल ही में चिराग पासवान आ राजद नेता तेजस्वी यादव के नवादा में भेंट भइल रहे। लोग ई समझे लागल कि शायद चुनाव से पहले कुछ नया समीकरण बन सकेला। लेकिन चिराग पासवान के साफ जवाब आ गइल –
“तेजस्वी से पारिवारिक रिश्ता बा, बाकि विचारधारा एतना अलग बा कि मिलल संभव नइखे।”
चिराग इहो कहले कि अगर गठबंधन के बात होखित, त ऊ 2020 के चुनाव में हो जाईत। उ त ओह घरी भी अकेले चुनाव लड़ले रहलें।
“भतीजा के जनम पर बधाई, बाकि राजनीति मत जोड़ीं”
तेजस्वी यादव के बेटा के जनम पर चिराग पासवान नवादा पहुंचले रहलें। उ कहले –
“हम त बस अपने भतीजा के जनम के बधाई देवे गइल रहीं। एकदम सामाजिक भेट रहल, एकरा के राजनीतिक रंग ना दिहल जाव।”
ई बयान से ऊ सब कयास पर विराम लग गइल जे कहत रहे कि राजद आ लोजपा एक मंच पर आ सकेले।
बिहार के चुनावी जंग शुरू, गठबंधन के खेला चालू बा
बिहार में वर्तमान सरकार के कार्यकाल 22 नवंबर 2025 के खत्म हो रहल बा। माना जाता कि चुनाव अक्टूबर अंत या नवंबर शुरू में हो सकत बा। अबकी बार भी मुकाबला होई एनडीए बनाम महागठबंधन में।
एनडीए में भाजपा, जदयू, लोजपा, HAM, आ RLSP बा, जबकि महागठबंधन में राजद, कांग्रेस आ कुछ क्षेत्रीय दल बा।
राजनीतिक गणित में जोड़-घटाव चालू बा
चुनाव जइसे-जइसे नजदीक आ रहल बा, नेताजी लोग के बयानबाजी, गठजोड़ के चर्चा आ रणनीति के जंग तेज हो रहल बा। चिराग पासवान के बयान से ई साफ हो गइल बा कि ऊ राजद संग कतई गठबंधन ना करीहें, भले रिश्तेदारी रहे।
राजनीति में भावनात्मक रिश्ता, बाकि वोट बैंक के हिसाब अलग बा
चिराग पासवान के साफ-साफ कहनाम ई बतावता कि बिहार में राजनीति दिल से ना, दिमाग से खेलल जाला। चाहे रिश्तेदारी होखे या पुराने संबंध, जब बात विचारधारा आ जनाधार पर आवेला, तब हर नेता राजनीतिक फायदा के पैमाना पर फैसला लेवेला।
2025 के बिहार चुनाव में केतना सियासी समीकरण बनत-बिगरत बा, ई देखे लायक होई।