नीतीश की नींद, तेजस्वी की बेचैनी और चिराग का बिहार वाला ‘बम’!

गौरव त्रिपाठी
गौरव त्रिपाठी

2025 आते-आते बिहार की सियासत एक बार फिर उबल रही है। और इस बार उबाल देने वाले कोई और नहीं, बल्कि केंद्रीय मंत्री होते हुए भी “बिहार लौटने” का जुनून रखने वाले चिराग पासवान हैं। उनका कहना है, “दिल्ली में बैठकर बिहार नहीं बदलेगा, मैं वापस आना चाहता हूं।”

बिलकुल वैसी ही लाइन, जैसी प्रशांत किशोर खींच रहे हैं—लेकिन फिनिशिंग स्टाइल पूरी तरह “पॉलिटिकल बॉलीवुडी” है।

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दिल्ली की कुर्सी छोड़, पटना की लड़ाई?

चिराग पासवान का कहना है कि दिल्ली की पावर से ज़्यादा उन्हें बिहार की ज़मीन से लगाव है। अपने ‘बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट’ विजन में वो पूरी ताकत झोंकने को तैयार हैं।

ये वही चिराग हैं, जिन्होंने 2020 में नीतीश को नुकसान पहुंचाया था। अब वो खुले तौर पर विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं—वो भी कोई सुरक्षित सीट नहीं, सामान्य सीट से। मतलब गेम सीधा है: पावर प्ले शुरू हो चुका है।

NDA में चिराग का ‘सीट कार्ड’: फायदा होगा या फजीहत?

कहा जा रहा है कि चिराग लोकसभा में अपनी 5 सीटों के बदले 30 विधानसभा सीटें मांग रहे हैं। बीजेपी कहती है, “अरे भैया, 20-25 पर बात करो।”
तो क्या ये सीट शेयरिंग का शुद्ध प्रेशर पॉलिटिक्स है? बिलकुल!

उपेंद्र कुशवाहा की तरह चिराग भी बीजेपी पर अपना नंबर बढ़वाने का दबाव बना रहे हैं। और इसका एक ही फार्मूला है—“स्ट्राइक रेट दिखाओ, सीट बढ़ाओ।”

नीतीश-तेजस्वी को एक साथ टार्गेट? कौन बनेगा सीएम 2025?

  • तेजस्वी यादव: 36.9%

  • नीतीश कुमार: 18.4%

  • प्रशांत किशोर: 16.4%

  • चिराग पासवान: 10.6%

मतलब टॉप तीन के पीछे चिराग तेजी से लुका-छुपी से निकलकर सीधा दौड़ने लगे हैं। तेजस्वी जहां जातीय राजनीति को हवा दे रहे हैं, वहीं चिराग खुद को डिवेलपमेंट लवर दिखाने में जुटे हैं। प्रशांत किशोर भी मैदान में हैं, लेकिन चिराग के पास सत्ता, संगठन और स्टाइल तीनों हैं।

राजनीति के रामायण में कौन है चिराग—राम या हनुमान?

2020 में खुद को मोदी का हनुमान बताकर बीजेपी को फायदा और नीतीश को नुकसान देने वाले चिराग—2025 में किसके साथ हैं, अभी भी ये सवाल अधर में है।

तेजस्वी-नीतीश के बीच ‘बिहारी बम’ फोड़ेंगे चिराग?

राजनीति के जानकार मानते हैं कि चिराग का विधानसभा चुनाव लड़ना सिर्फ LJP की सीटें बढ़ाने का नहीं, बल्कि NDA के भीतर और विपक्ष के बाहर हलचल मचाने का हिस्सा है।

चिराग की बढ़ती लोकप्रियता बीजेपी के लिए साइड इफेक्ट बन सकती है, और नीतीश के लिए सीधे खतरा। तेजस्वी को भी सावधान रहना होगा—क्योंकि जातीय गणित में दलित चेहरे के रूप में चिराग एक साइलेंट झटका दे सकते हैं।

चिराग का ‘पॉलिटिकल GPS’ अब दिल्ली नहीं, पटना सेट कर रहा है

2025 का चुनाव इस बात का होगा कि बिहार राजनीति में बदलाव चाहता है या चेहरों की अदला-बदली। चिराग पासवान इस बदलाव के चेहरे बनने की पूरी तैयारी में हैं—और शायद अगली बार वो सिर्फ नुकसान पहुंचाने नहीं, खुद को स्थापित करने मैदान में उतरेंगे।

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