जनगणना – गिनती फिर से शुरू! 15 साल बाद देश बोलेगा – “हां, मैं मौजूद हूं”

अजमल शाह
अजमल शाह

15 साल बाद, आखिरकार देश की सबसे बड़ी लोकतांत्रिक प्रक्रिया — जनगणना — फिर से दस्तक देने जा रही है। केंद्र सरकार ने घोषणा की है कि भारत में अगली जनगणना 2026 में 1 अक्टूबर से जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में शुरू होगी, जबकि 2027 में 1 मार्च से पूरे देश में इसे दो चरणों में कराया जाएगा।

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जनगणना की दोबारा वापसी: कोरोना ने ली थी छुट्टी

पिछली बार 2011 में हुई थी गिनती, और 2021 में अगली प्रस्तावित थी। लेकिन कोविड-19 ने केवल स्वास्थ्य को ही नहीं, जनगणना जैसी अहम प्रक्रिया को भी “स्थगित” करवा दिया। अब जब कोरोना की लहरें थम चुकी हैं, तो सरकार ने भी कहा — “चलो, अब फिर से गिनो!”

इस बार खास क्या? – जातीय जनगणना भी शामिल

सूत्रों के मुताबिक, इस बार जनगणना में जातीय आधार पर डेटा भी एकत्र किया जाएगा। यह कदम राजनीतिक और सामाजिक रूप से बहुत संवेदनशील माना जा रहा है। बिहार में हुई जातीय गणना के बाद अब राष्ट्रीय स्तर पर भी इस दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है।

2011 के बाद जन्मे बच्चे अब 9वीं क्लास में पहुंच चुके होंगे और शायद उन्हें पहली बार ये पूछा जाएगा — “आप कौन हैं, और कितने हैं?”

राज्यवार जनगणना की शुरुआत

राज्य जनगणना प्रारंभ तिथि
जम्मू-कश्मीर, लद्दाख 1 अक्टूबर 2026
उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश 1 अक्टूबर 2026
अन्य भारत (देशभर) 1 मार्च 2027

राजनीति, आंकड़े और भविष्य की योजनाएं

जनगणना केवल जनसंख्या गिनती नहीं है, ये नीति निर्माण, संसाधन आवंटन और राजनीतिक प्रतिनिधित्व तय करने का आधार होती है। जातीय जनगणना के साथ यह प्रक्रिया और भी संवेदनशील हो जाती है।

 साफ हैं:
2029 के लोकसभा चुनाव से पहले सामाजिक समीकरणों की तैयारी डेटा के दम पर होने जा रही है।

जनगणना सिर्फ गिनती नहीं, एक राष्ट्र की ‘पहचान पत्र’ प्रक्रिया है। अब देखना होगा कि इस गिनती में कौन कहां और कैसे दर्ज होता है। फिलहाल, सरकार ने संख्या की राजनीति को फिर से सक्रिय कर दिया है।

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