दरगाह से दिल तक: मुसलमानों को BJP का ‘Modi मैजिक

सुरेन्द्र दुबे ,राजनैतिक विश्लेषक
सुरेन्द्र दुबे ,राजनैतिक विश्लेषक

राजनीति में ‘दिल जीतने’ की परंपरा पुरानी है, लेकिन बीजेपी ने इसे एक नया मोड़ दे दिया है। ईद पर ‘सौगात ए मोदी’ किट से शुरुआत कर, अब पार्टी दरगाहों और सूफी संतों के जरिए मुसलमानों के दिलों तक पहुंचने की कोशिश में है। और हाँ, यह कोई इलेक्शन से पहले की ‘Iftar diplomacy’ नहीं, बल्कि ‘Modi Mitra Mission’ है – जो दिल से चले, और वोट तक पहुंचे।

14,000 धर्मगुरुओं से मुलाकात – दरगाहों में हो रही ‘चाय पे चर्चा’?

बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा के अध्यक्ष जमाल सिद्दीकी दावा करते हैं कि अब तक देशभर में 14,000 मुस्लिम धर्मगुरुओं और सज्जादा नशीनों से संपर्क हो चुका है। मकसद? सरकार की योजनाओं को दरगाहों के रास्ते मोहल्लों तक पहुँचाना।

“हम धर्मगुरुओं से पार्टी में शामिल होने नहीं कह रहे, बस इतना कह रहे हैं कि – योजनाओं की बात लोगों तक पहुँचा दीजिए, बाकी चुनावी फैसला ऊपरवाले पर छोड़ दीजिए।”

सौगात ए मोदी: किट में क्या था, जादू या जनसंपर्क?

ईद पर बांटी गई ‘सौगात ए मोदी’ किट ने बीजेपी को पब्लिक रिलेशन का पावर टूल दे दिया। किट में क्या था? राशन, मिठाई और एक “भाईचारे का पैग़ाम” – लेकिन इसके पीछे राजनीति का असली स्वाद छिपा था।

भावनात्मक कनेक्शन की ये रेसिपी अब ‘Modi Mitra’ योजना के रूप में सामने है।

Modi Mitra Yojana: मुसलमानों की दोस्ती का नया ‘सर्टिफिकेट’

अब जो लोग किसी वजह से पार्टी से औपचारिक रूप से नहीं जुड़ सकते (जैसे सरकारी नौकरी वाले), उनके लिए है ‘मोदी मित्र’ योजना। देशभर में 19 लाख से ज़्यादा मुस्लिम ‘मोदी मित्र’ बन चुके हैं।

इन दोस्तों को पार्टी की ओर से एक सर्टिफिकेट दिया जाता है – साथ में एक subtle reminder कि “आप अब सिर्फ नागरिक नहीं, प्रचारक भी हैं!”

डॉ एपीजे अब्दुल कलाम सम्मान: व्यापार शुरू करो, सम्मान पाओ

सरकारी योजनाओं से व्यवसाय शुरू करने वाले मुस्लिम युवाओं को अब मिलेगा डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम सम्मान। और जगह? नई दिल्ली। तारीख? 12 अगस्त। और मोमेंट? शायद एक political photoshoot भी!

बिहार चुनाव: मुसलमान वोट देंगे ‘कमल’, या फिर कमल के ऊपर सवाल?

BJP का कहना है कि बिहार में पौने दो लाख मुस्लिम सदस्य एक्टिव हैं, और हर एक को 20 और को पार्टी के लिए मनाने का Target मिला है। यानी “One Muslim, Twenty Votes!” – जो नारा नहीं, नया रणनीतिक गणित है।

“अब मुसलमान कहने लगे हैं – ना दूरी, ना खाई है… मोदी हमारा भाई है!
— जमाल सिद्दीकी

“जब राजनीति सूफी टच लेती है…”

इस पूरी कहानी में सबसे दिलचस्प बात ये है कि जो पार्टी कभी ‘मुस्लिम तुष्टिकरण’ के खिलाफ थी, वही अब दरगाह दर दरगाह जाकर ‘मुस्लिम सशक्तिकरण’ का बीड़ा उठा रही है। अगला क्या? Urs 2025 पर “मन की बात LIVE”?

मोहब्बत की सियासत या सियासत की मोहब्बत?

राजनीति अब सिर्फ नारों की नहीं रही, अब ये इमोशनल इंजीनियरिंग और डेटा-ड्रिवन आउटरीच का खेल है। मुस्लिम वोट बैंक को लुभाने की इस नई रणनीति में ‘मोदी मित्र’ दोस्ती की नई परिभाषा बन रहे हैं।

पर सवाल अब भी वही है:
“क्या ये outreach वाकई trust बना पाएगी… या फिर ये भी चुनावी मौसम की हवा बनकर उड़ जाएगी?”

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