
सूत्रों की मानें तो BJP की पहली सूची में बड़े फेरबदल की संभावना कम है। मौजूदा विधायकों को प्राथमिकता दिये जाने की चर्चा है। नए चेहरे सीमित रूप से ही दिखेंगे। यह रणनीति यह संदेश देती है कि पार्टी भरोसेमंद, अनुभवी चेहरों पर विश्वास कर रही है, बजाय बड़े बेचैन बदलाव के।
सीटों का प्रारंभिक लक्ष्य — 100 सीटें?
कुछ अंदरूनी अनुमान यह हैं कि BJP इस बार लगभग 100 सीटों पर चुनाव लड़े। इनमें से करीब 80 वर्तमान विधायक हैं। अगर पार्टी पुराने विधायकों को मौका देती है, तो टिकट कटने वालों की संख्या कम होगी और नई एंट्री सीमित रहेगी।
गठबंधन को कैसे जगह मिलेगी?
BJP का पूरा ध्यान अभी सहयोगी दलों पर है — चिराग पासवान की LJP, जीतन राम मांझी की HAM, उपेंद्र कुशवाहा की RLM आदि। यदि गठबंधन समता बनाए रखे, तो BJP को कुछ सीटें देना पड़ेगी। सूत्र बताते हैं कि NDA के दलों की बातचीत “सही दिशा में” जा रही है और 13 अक्टूबर को पहली संयुक्त सूची आ सकती है।
पिछले चुनावों से अब तक का इतिहास
-
2020 में BJP ने गठबंधन में 110 सीटों पर चुनाव लड़ा और 74 जीते; बाद में अन्य विधायकों के शामिल होने से संख्या बढ़ी
-
2015 में अकेले चुनाव लड़ कर BJP की सफलता कम रही — 157 सीटों में से केवल 53 जीत
-
इस बार गठबंधन में रहते हुए ही बेहतर संभावना देखी जा रही है
यह यानी कि BJP नेतृत्व को पता है कि अकेले लड़ना इतना आसान नहीं होगा, गठबंधन का समन्वय जरूरी रहेगा।
संभावित सीटों में बदलाव के संकेत
कुछ सीटों पर बदलाव की चर्चा जोर पकड़ रही है:
-
कुम्हरार: 74 वर्ष की आयु पार उम्मीदवार की जगह नया चेहरा
-
अलीनगर: मिसरी लाल के निलंबन के बाद नए चेहरे की संभावना
-
गोविंदगंज: “पारद पकड़” के बावजूद BJP को छोड़ना पड़ सकती है
ये वो सीटें हैं जहां टिकट कटने या चेहरे बदलने की संभावना अधिक दिख रही है।
स्थिरता और रणनीति का संतुलन
BJP इस चुनाव में संतुलन साधने की कोशिश कर रही है —
-
स्थिरता : मौजूदा विधायकों को मौका
-
रणनीति : नए क्षेत्र, गठबंधन, जातीय समीकरण
-
समन्वय : अन्य NDA दलों को शामिल रखना
पहली सूची में बड़े झटके की संभावना कम है, लेकिन थोड़ी‑बहुत हलचल और जिन सीटों पर बदलाव हो सकते हैं, वही अब सबकी नज़र में हैं।
बिग बॉस 19: भाई-बहन से भूत-भूतनी तक, मृदुल-मालती में भिड़ंत!