
बिहार में चुनावी मोड ON है, और नीतीश कुमार बिल्कुल फुल फॉर्म में हैं। शनिवार को अपने X (ट्विटर) हैंडल से उन्होंने पत्रकारों के लिए बड़ी सौगात की घोषणा की:
अब बिहार पत्रकार सम्मान पेंशन योजना के तहत पत्रकारों को ₹6,000 की जगह ₹15,000 प्रति माह पेंशन मिलेगी।
इतना ही नहीं, पेंशन ले रहे पत्रकार की मृत्यु के बाद उनके जीवनसाथी को मिलने वाली राशि भी ₹3,000 से बढ़ाकर ₹10,000 कर दी गई है।
नोट: पत्रकार अब सिर्फ लोकतंत्र के चौथे स्तंभ नहीं, पेंशनर कॉलम के नए पन्ने बन गए हैं।
वोटर लिस्ट का विवाद – ‘Sir, आधार कार्ड तो है!’
जैसे ही चुनावी तिथियों की आहट सुनाई देने लगी, वोटर लिस्ट स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) पर बवाल मच गया है। करीब 65 लाख मतदाताओं की सूची में “गड़बड़ी” बताई जा रही है।
बिहार के गांवों से आवाज़ आ रही है:
“हमारे पास सिर्फ आधार कार्ड है, वोटर आईडी नहीं है, अब क्या करें?”
ऑफर ज़ारी है: पेंशन से बिजली तक
नीतीश कुमार के घोषणाओं की स्पीड अब 5G को भी मात दे रही है।
कुछ ज़ोरदार स्कीमें जो “Buy One Get Ten Free” की तरह लगती हैं:
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हर महीने 125 यूनिट बिजली फ्री (1 अगस्त से)
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कुटीर ज्योति योजना के तहत सोलर पैनल लगवाने का प्लान
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युवाओं को ₹4,000 से ₹6,000 तक स्किल डेवलपमेंट राशि
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कलाकारों को ₹3,000 मासिक पेंशन
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35% आरक्षण केवल बिहार मूल की महिलाओं को
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सामाजिक सुरक्षा पेंशन अब ₹400 से बढ़ाकर ₹1,100
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बुजुर्गों, विधवाओं और दिव्यांगों के लिए भी खुशखबरी
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बिहार युवा आयोग का गठन
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कर्पूरी ठाकुर स्किल यूनिवर्सिटी का ऐलान
नीतीश बाबू ने इस चुनाव को ‘गृह उद्योग’ बना दिया है – एक तरफ पत्रकारों की पेंशन, दूसरी तरफ वोटर्स की टेंशन!
चुनाव प्रचार अगर Netflix होता, तो नीतीश की घोषणाएं “Most Watched Series” बन जातीं। 243 सीटों की लड़ाई शुरू हो चुकी है, लेकिन पहला झटका जनता को लग चुका है – “वोट डालना है? पहले देखो, नाम लिस्ट में है भी या नहीं!”
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