Bangladesh Lynching Case: दीपू चंद्र दास की हत्या पर UN में शिकायत

अजमल शाह
अजमल शाह

बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर चिंता एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय मंच तक पहुंच गई है। मयमनसिंह जिले में 25 वर्षीय हिंदू युवक दीपू चंद्र दास की भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या के मामले ने न सिर्फ बांग्लादेश की कानून-व्यवस्था, बल्कि मौजूदा सरकार की कार्यप्रणाली पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

UN में पहुंचा मामला, भारत से औपचारिक शिकायत

इस सनसनीखेज हत्याकांड को लेकर भारतीय वकील और अंतरराष्ट्रीय हिंदू सेवा संघ के अध्यक्ष विनीत जिंदल ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय (UN OHCHR) में बांग्लादेश सरकार के खिलाफ औपचारिक शिकायत दर्ज कराई है

विनीत जिंदल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर शिकायत की कॉपी साझा करते हुए कहा कि “बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचार अब घरेलू मुद्दा नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संकट बन चुके हैं।”

मयमनसिंह में क्या हुआ था?

रिपोर्ट्स के मुताबिक दीपू चंद्र दास एक फैक्ट्री कर्मचारी थे। उन पर कथित तौर पर ईशनिंदा का आरोप लगाया गया। उग्र भीड़ ने पहले उन्हें पीटा, फिर शव को पेड़ से बांधकर आग लगा दी।

सबसे गंभीर तथ्य यह है कि हत्या से पहले दीपू पुलिस हिरासत में थे, और उन्होंने पहले हमले की शिकायत भी दर्ज कराई थी। इसके बावजूद सुरक्षा नहीं मिल पाई।

प्रशासन की भूमिका पर उठे सवाल

इस पूरे घटनाक्रम ने बांग्लादेश प्रशासन की भूमिका को कठघरे में खड़ा कर दिया है। स्थानीय लोगों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि समय रहते कार्रवाई होती या शिकायत पर गंभीरता दिखाई जाती। तो शायद यह हत्या रोकी जा सकती थी।

तस्लीमा नसरीन का दावा: निजी दुश्मनी को दिया गया धार्मिक रंग

बांग्लादेश की मशहूर लेखिका तस्लीमा नसरीन ने भी इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि:

“दीपू के साथ काम करने वाले एक सहकर्मी ने निजी रंजिश के चलते उस पर झूठा धार्मिक आरोप लगाया।”

उनके मुताबिक, धर्म का इस्तेमाल अक्सर व्यक्तिगत बदले और भीड़ को भड़काने के हथियार के रूप में किया जा रहा है।

कौन हैं विनीत जिंदल?

  • पेशे से सुप्रीम कोर्ट के वकील
  • दिल्ली स्थित VJ Law Associates के संस्थापक
  • International Hindu Service Association के अध्यक्ष

विनीत जिंदल इससे पहले भी कट्टरपंथ, खालिस्तानी नेटवर्क और धार्मिक घृणा फैलाने वाले मामलों को लेकर कानूनी और सार्वजनिक मंचों पर मुखर रहे हैं।

जब भीड़ अदालत बन जाए और सरकार दर्शक…तो इंसाफ UN के दरवाज़े खटखटाता है।

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