
जहाँ एक ओर उत्तर प्रदेश के कई ज़िले गर्मी से राहत की सांस ले रहे हैं, वहीं सीमावर्ती जिला बहराइच में बारिश लोगों के लिए मुसीबत बनकर आई है।
अब बहराइच के लोग कूलर से निकलकर नाव खोजने लगे हैं।
चार तहसीलों पर मंडरा रहा बाढ़ का खतरा
हर साल की तरह इस बार भी चार प्रमुख तहसीलें — मिहींपुरवा, नानपारा, महसी, कैसरगंज — बाढ़ की सीधी चपेट में आ सकती हैं।
सरयू, घाघरा और शारदा नदियों का जलस्तर खतरे के निशान के बेहद करीब है।
“बहराइच की हालत कुछ यूं है – अगर सूरज निकलता है तो झुलसा देता है, और अगर बादल आते हैं तो बहा ले जाते हैं।”
नेपाल से भी है संकट का कनेक्शन!
चूंकि बहराइच नेपाल सीमा से जुड़ा जिला है, वहां से पानी छोड़े जाने पर यहां के हालात और बिगड़ जाते हैं।
नेपाल की एक बाल्टी = बहराइच की तबाही!
प्रशासन पूरी तरह अलर्ट मोड पर
CDO मुकेश चंद्र ने कहा है कि:
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बाढ़ चौकियां एक्टिव की जा चुकी हैं
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नावें, गोताखोर, राहत सामग्री सभी तैयार
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टेंडर भी हो चुके हैं, बचाव कार्यों में कोई देरी नहीं
राहत से पहले राहत की खबर
बहराइच प्रशासन ने ये तो साफ़ कर दिया है कि वह सिर्फ फाइलों में नहीं, धरातल पर तैयार है। अब देखना ये है कि बारिश प्रशासन की प्लानिंग को बहा ले जाती है या प्रशासन पानी की चाल को थाम लेता है।
“बहराइच में मौसम नहीं, मूड बदल रहा है!”
जहां गर्मी से राहत एक जश्न की तरह लगी, वहां अब बाढ़ की दहशत एक टिक टिक करता टाइम बम बन गई है।
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