जब मन बोले “सब कुछ ठीक है” और दिमाग बोले “Alert! You’re screwed!”

स्वास्थ्य विशेषज्ञ
स्वास्थ्य विशेषज्ञ, डॉ. आशुतोष दुबे

कभी-कभी आपको ऐसा लगता है कि कुछ तो गड़बड़ है, लेकिन क्या? न दिल की सुनाई देती है, न दिमाग की। आप नॉर्मल दिखते हो, पर अंदर एक ऐसा तूफान चल रहा होता है जो बाहर से कोई देख नहीं पाता।

वेलकम टू द क्लब – एंग्जाइटी क्लब, जहां मेंबरशिप मिलती है बिना पूछे, और आपको पता भी नहीं चलता कि आप कब इसका हिस्सा बन गए।

एंग्जाइटी के लक्षण – जब दिमाग बने वर्ल्ड वार जोन

अगर आप इनमें से कोई भी चीज़ें बार-बार फील कर रहे हैं, तो भाई/बहन… आपको “तसल्ली” नहीं, “समझदारी” की जरूरत है:

हर समय घबराहट, बेचैनी जैसे कोई ऑफिस में बॉस का मेल आया हो। सांस लेने में दिक्कत, जैसे कोई कह रहा हो – “अबे रिलैक्स कर!”

नींद गायब, पर सोचने की स्पीड 5G से भी तेज़। पेट खराब, दिल धड़कन तेज़ और हाथ-पैर जैसे ICY कोल्ड और हां, उदासी, बिना किसी कारण के – जैसे आपकी ज़िंदगी किसी ओटीटी थ्रिलर की बोरिंग सीरीज बन चुकी हो

घुटन – जब आप “Seen” तो होते हैं, लेकिन “Heard” नहीं

दिल में बहुत कुछ है कहने को, लेकिन मुंह से “ठीक हूं” ही निकलता है। अंदर जो भावनाओं का जाम लग रहा है, वही धीरे-धीरे एंग्जाइटी की ट्रैफिक बना देता है।

तनाव – Office की डेडलाइन, घर की बहस और ऊपर से खुद की Expectations

जब हर कोई आपसे कुछ चाहता है – लेकिन आप खुद से क्या चाहते हैं, वो ही पता नहीं।

बीमारी – Real बीमारी से ज़्यादा, उसका डर परेशान करता है

Google करोगे तो हल्की सर्दी भी ‘cancer’ लगेगी। इसलिए मत करो खुद का इलाज YouTube से।

कोई सदमा – Past कभी Past नहीं होता, वो तो आपके Mind में VIP सीट लेकर बैठा रहता है

कोई पुराना झटका, गहरी याद या टूटा रिश्ता – ये सब एंग्जाइटी का ignition बन सकते हैं।

एंग्जाइटी से बचने के उपाय – ‘गुटखा’ नहीं, Gut Feeling सुनो!

दिल की बात कहो – दिमाग खुद हल्का हो जाएगा

अपने किसी खास से बात करो। Not the “क्या खाया?” वाली बात, बल्कि वो जो अंदर छिपा है।

Cognitive Behavioral Therapy (CBT) – दिमाग की जिम

ये एक साइंटिफिक थेरेपी है, जहां आपको सिखाया जाता है कि कैसे आप अपनी सोच को Positive Tracks पर ला सकते हो।

Daily Routine बनाओ – जैसे शरीर को खाना चाहिए, वैसे ही दिमाग को Structure

नींद, खाना, सोशल मीडिया डिटॉक्स और थोड़ा वॉक – दिमाग भी कहेगा “थैंक यू यार!”

Help मांगना कमजोरी नहीं, समझदारी है

Panic attack को macho बनकर न झेलो। अगर चीज़ें आउट ऑफ कंट्रोल लगें, तो पेशेवर मदद जरूर लो।

खुद से पूछो: “क्या मैं अपने सबसे अच्छे दोस्त से ऐसे बर्ताव करता?”

अगर नहीं, तो फिर खुद को ऐसा ट्रीट क्यों कर रहे हो?

एंग्जाइटी है, तो एक्सेप्ट करो – ये कमजोरी नहीं, Awareness की शुरुआत है!

आप अकेले नहीं हैं। एंग्जाइटी आज के समय की सच्चाई है, लेकिन इससे निपटने के रास्ते भी हैं – बस आंखें खोलनी होंगी, और दिल खोलना पड़ेगा। अगर आप खुद से लड़ना छोड़कर खुद से बात करना शुरू करें – तो शायद, दिमाग भी बोले – “चलो अब ठीक लग रहा है।”

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