
बिहार की सियासत एक बार फिर गर्म है। गृह मंत्री अमित शाह ने तेजस्वी यादव के “2.6 करोड़ सरकारी नौकरियों” के वादे को लेकर करारा हमला बोला है।
“बिहार में 2.8 करोड़ परिवार हैं। पहले ही 20 लाख लोगों को नौकरी मिल चुकी है। बाक़ी बचे 2.6 करोड़ को सरकारी नौकरी कैसे देंगे तेजस्वी?” – अमित शाह
12 लाख करोड़ vs 3 लाख करोड़: कहाँ से आएगा पैसा?
अमित शाह ने गिनती के साथ तंज भी कस दिया, “डी और सी ग्रेड की सरकारी नौकरी भी देनी हो, तो न्यूनतम खर्च आएगा ₹12 लाख करोड़, जबकि बिहार का बजट है केवल ₹3.25 लाख करोड़।
शाह का कहना है कि यह वादा बिलकुल अव्यावहारिक और युवाओं को धोखा देने वाला है।
“वोट के लिए झूठा सपना मत बेचिए” – शाह का आरोप
शाह ने यह भी कहा कि चुनाव जीतने के लिए युवाओं को लॉलीपॉप दिखाना अब पुरानी राजनीति है, और जनता अब डेटा, बजट और सच्चाई पर वोट करती है।
“तेजस्वी जी को बताना चाहिए कि वे ये 12 लाख करोड़ कहाँ से लाएँगे?”
तेजस्वी यादव की प्रतिक्रिया का इंतजार
फिलहाल तेजस्वी यादव की ओर से इस बयान पर कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। हालांकि, आरजेडी खेमे के सूत्रों का कहना है कि तेजस्वी ‘युवाओं के हक़’ की लड़ाई से पीछे नहीं हटेंगे।
युवा बेरोज़गारी मुद्दा या चुनावी जुमला?
बिहार में बेरोजगारी एक क्रॉनिक समस्या रही है।
ऐसे में 2.6 करोड़ नौकरियों का वादा लोगों को लुभा सकता है, लेकिन सवाल ये है कि क्या यह फिज़िबल है? क्या यह पॉलिटिकल स्टंट है?या फिर सच में कोई मास्टर प्लान है?
राजनीति के एक्सपर्ट्स मानते हैं कि वादा जितना बड़ा होगा, सवाल भी उतने ही तेज़ होंगे।
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