
गृह मंत्री अमित शाह शुक्रवार को बिहार के सीतामढ़ी पहुंचे, जहां उन्होंने पुनौराधाम में माता जानकी मंदिर की आधारशिला रखी। मंच पर उनके साथ मौजूद थे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, लेकिन माइक्रोफ़ोन का मज़ा शाह जी ने लिया — और बात मंदिर से शुरू होकर सीधा पहुंच गई राजद और घुसपैठियों तक।
“लालू एंड कंपनी घुसपैठियों के साथ खड़ी है” – शाह का दावा
अमित शाह ने अपने भाषण में कहा:
“राजद और कांग्रेस SIR बिल का विरोध इसलिए कर रहे हैं क्योंकि वे बांग्लादेशी घुसपैठियों को बचाना चाहते हैं जो बिहार के युवाओं की नौकरियां छीन रहे हैं।”
और इसी के साथ चुनावी भाषा में ‘SIR’ मतलब – Safe Illegal Residents का ट्रांसलेशन भी जनता तक पहुंच गया!
सीता मंदिर या वोट बैंक मिशन?
हालांकि यह भूमि पूजन धार्मिक दृष्टि से अहम है, लेकिन इसकी टाइमिंग ने राजनीति को भी गुदगुदा दिया है। बिहार विधानसभा चुनाव सिर पर हैं, और NDA का ये कदम अपने कोर वोट बैंक को संस्कृति + सुरक्षा के मिश्रण से साधने की कोशिश जैसा दिखता है।
सटीक निशाना:
-
एक तरफ मंदिर निर्माण
-
दूसरी तरफ वोटर माइंड कंस्ट्रक्शन
मंच पर शाह-नीतीश, दिल में टेंशन?
मंच पर दोनों नेता मुस्कराए, फोटो खिंचवाई — लेकिन पीछे का एजेंडा अलग-अलग ही लगता है। नीतीश कुमार के लिए ये धर्म और सत्ता संतुलन का मंच था, तो अमित शाह के लिए ये चुनावी कमांड लॉन्च पैड!
SIR बिल: विरोध का कारण या राजनीतिक चारा?
शाह ने आरोप लगाया कि राजद और कांग्रेस सिर्फ इसलिए SIR बिल का विरोध कर रहे हैं क्योंकि वह घुसपैठियों को बचाना चाहते हैं।
अब जनता समझ नहीं पा रही कि ये ‘बिल’ सच में सुरक्षा से जुड़ा है या फिर ‘बिल’ के नीचे चुनावी साँप छुपा है?
“मंदिर का नक्शा बन गया, अब वोटों का नक्शा भी खींचा जाएगा!”
राजनीति में मंदिर और मंच का कॉम्बो नया नहीं है। लेकिन जब भूमि पूजन से भाषण तक पहुंचकर विपक्ष को घुसपैठियों का वकील बना दिया जाए, तो समझ जाइए – “सियासत में हर ईंट वोट की बुनियाद है!”