
वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट से हलचल मच गई है। अमेरिकी अभियोजक जांच कर रहे हैं कि क्या गौतम अदानी की कंपनियों ने अमेरिकी प्रतिबंधों को दरकिनार कर ईरान से एलपीजी आयात किया — और वह भी भारत के मुंद्रा पोर्ट के ज़रिये।
बात महज़ टैंकरों की आवाजाही तक नहीं है। जहाज़ों के AIS (ऑटोमैटिक आइडेंटिफिकेशन सिस्टम) से छेड़छाड़, सैटेलाइट तस्वीरें और फारस की खाड़ी में संदिग्ध गतिविधियों ने जांच एजेंसियों को सक्रिय कर दिया है।
अदानी का इनकार: “ना हमने किया, ना हमें पता”
अदानी एंटरप्राइज़ेज़ ने WSJ की रिपोर्ट को “बेबुनियाद और नुकसानदेह” करार देते हुए पूरी कहानी से पल्ला झाड़ लिया है।
कंपनी का कहना है:
“हमें न इस जांच की जानकारी है और न ही हम ईरानी LPG से कोई लेन-देन करते हैं।”
उनका दावा है कि SMS Bros नामक जहाज़, जिसका ज़िक्र रिपोर्ट में है, अदानी का है ही नहीं। और जो कुछ हुआ, वो एक थर्ड पार्टी लॉजिस्टिक कंपनी की गतिविधि थी।
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सैटेलाइट ने खोली पोल या रची गई कल्पना?
WSJ रिपोर्ट में Lloyd’s List Intelligence के हवाले से कहा गया कि अप्रैल 2024 में एक जहाज़ जो दक्षिण इराक में होना चाहिए था, वो सैटेलाइट तस्वीरों में ईरान के टोनबुक टर्मिनल पर दिखा।
मतलब?
जहाज़ का रूट छिपाया गया, शायद इसलिए क्योंकि उसमें लदी थी… ईरानी LPG?
गौतम अदानी पर पुराने आरोप: यह पहली बार नहीं है
यह कोई पहली बार नहीं जब गौतम अदानी का नाम अमेरिका की जांच एजेंसियों से जुड़ा है। पिछले साल उन पर $250 मिलियन की रिश्वत, शेयर हेराफेरी, और शेल कंपनियों के ज़रिए मनी लॉन्ड्रिंग जैसे आरोप लगे थे।
हिंडनबर्ग रिपोर्ट के बाद एक झटके में उनकी नेटवर्थ $80 बिलियन से घटकर आधी रह गई थी।
अब फिर वही कहानी—नई जांच, वही किरदार, और “गलतफहमी” का पुराना बयान।
मोदी कनेक्शन और अमेरिकी सेंक्शन का तड़का
WSJ की रिपोर्ट में अदानी को प्रधानमंत्री मोदी का करीबी सहयोगी भी बताया गया है। अमेरिका का जस्टिस डिपार्टमेंट सेकेंडरी सैंक्शंस की बात कर रहा है, यानी अगर आरोप सही पाए गए तो भारत की एक बड़ी कारोबारी ताकत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कटघरे में खड़ी हो सकती है।
सच्चाई क्या है?
अदानी कहते हैं — “कुछ नहीं हुआ”
अमेरिकी जांच कहती है — “बहुत कुछ हुआ है”
और आम जनता पूछ रही है — “अब क्या होगा?”
जहाँ एक ओर अदानी समूह बार-बार कह रहा है कि उसे कोई नोटिस नहीं मिला, वहीं दूसरी ओर WSJ की रिपोर्ट, सैटेलाइट तस्वीरें और जहाज़ों के AIS से छेड़छाड़ की कहानियां एक नई वैश्विक जांच की आहट देती हैं।
क्या यह जांच अदानी के साम्राज्य को फिर से झटका देगी या यह तूफ़ान भी पुराने की तरह मीडिया शोर तक ही सीमित रहेगा?