
जब आप हवाई जहाज में सीट बेल्ट लगाकर बैठते हैं तो सोचते हैं कि बस अब सब सुरक्षित है। पर एयर इंडिया में सुरक्षा अब सीट बेल्ट से नहीं, शेड्यूल से तय होती है — और वो भी बिगड़ा हुआ!
DGCA ने जो खुलासा किया है, उससे तो यही लगता है कि जहाज़ उड़ रहे थे… लेकिन सिस्टम तो ज़मीन पर भी ‘एयर प्लेन मोड’ में था।
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क्रू कन्फ्यूजन प्राइवेट लिमिटेड: ड्यूटी का कोई टाइम नहीं, आराम का कोई नाम नहीं
सूत्र बताते हैं कि एयर इंडिया के भीतर ड्यूटी रोस्टर का हाल वैसा था जैसे किसी WhatsApp ग्रुप में “आज किसका मन है उड़ने का?” वाला पोल डाला जाता हो। कभी किसी क्रू मेंबर को ज़रूरत से ज़्यादा उड़ानें दी गईं, तो किसी को बिना आराम के सीधे 30,000 फीट पर भेज दिया गया। मतलब, यात्री आरामदायक कुर्सी पर बैठे थे और पायलट… शायद ऊंघ रहे थे।
DGCA का डंडा: तीन बड़े अफसरों की छुट्टी, बाकी की अब नींद खुली!
DGCA ने इसे केवल गलती नहीं, “संस्थागत थकावट की साजिश” कहा और सीधा तीन वरिष्ठ अफसरों को उनके पदों से हटा दिया। अब एयर इंडिया के दफ्तरों में अफरा-तफरी है, और वॉट्सएप पर नए ग्रुप बन रहे हैं, “नए रोस्टर वाले ईमानदार लोग – Only serious members”
सुरक्षा का नया मंत्र: जो क्रू सोया, वही जहाज़ गिरा!
हवाई जहाज़ में सुरक्षा कोई मज़ाक नहीं होती, लेकिन एयर इंडिया ने इसे ‘पॉवर नैप’ बना दिया था। DGCA की रिपोर्ट पढ़कर लगता है मानो पायलटों को चाय के साथ ‘दूसरी उड़ान’ दी जा रही थी और थके हुए क्रू को “चलो भाई एक और लास्ट फ्लाइट” कहकर भेजा जा रहा था।
अगर गलती से कोई यात्री पूछ लेता – “पायलट सो तो नहीं रहे?”
तो जवाब आता – “शायद थोड़ा… लेकिन सीट बेल्ट आपकी सुरक्षा का भरोसा है!”
बिग ब्रेकिंग: जो चले वही पायलट, जो न चले वो… मैनेजमेंट?
जिन अधिकारियों को हटाया गया, उनकी जिम्मेदारी थी कि उड़ान भरने से पहले हर चीज़ नियम से हो। लेकिन इनका रवैया ऐसा था मानो फ्लाइट का शेड्यूल वो नहीं, Google Calendar Auto Suggestion से बना हो। अब सवाल उठ रहा है — ये लापरवाही थी या लॉटरी सिस्टम?
उड़ान भरोसे की नहीं, हकीकत की मांग कर रही है
यात्रियों को अब सिर्फ पायलट के अनाउंसमेंट से तसल्ली नहीं मिलती — उन्हें भरोसा चाहिए कि जहाज़ चला कौन रहा है और उसने आखिरी बार कब ठीक से नींद ली थी। एयर इंडिया पर जनता का भरोसा बना रहेगा या नहीं, ये तो वक्त बताएगा… पर जब तक इंटरकॉम पर पायलट बोले, “गुड मॉर्निंग लेडीज़ एंड जेंटलमेन…” तो मन में एक सवाल उठ ही जाता है — “Good Morning, but… did you even sleep?”
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