
12 जून 2025 को दोपहर 1:30 बजे, एयर इंडिया की फ्लाइट AI171, जो अहमदाबाद से लंदन के लिए उड़ान भर रही थी, टेकऑफ के ठीक 32 सेकंड बाद मेघानी नगर में दुर्घटनाग्रस्त हो गई। यह बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर था।
इस हादसे में 230 यात्रियों, 12 क्रू मेंबर्स, 19 जमीन पर खड़े नागरिकों की जान चली गई।
अब परिजन बोइंग के खिलाफ लड़ेंगे अमेरिका में कानूनी जंग
हादसे में जान गंवाने वाले 60 पीड़ितों के परिवारों ने अब अमेरिका की कोर्ट में बोइंग के खिलाफ केस करने का ऐलान किया है। उनका कहना है:
“हमें न्याय चाहिए। कंपनी को जिम्मेदार ठहराना जरूरी है।”
माइक एंड्रयूज – वही वकील जिन्होंने बोइंग को 2019 में भी घुटनों पर ला दिया था
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माइक एंड्रयूज, Beasley Allen Law Firm से हैं
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2019 में इथोपियन एयरलाइंस क्रैश के लिए भी इन्होंने बोइंग से मुआवजा दिलवाया था
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वे एविएशन लॉ, डेथ केस, और प्रोडक्ट फॉल्ट केस में एक्सपर्ट माने जाते हैं
परिजन चाहते हैं कि:
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ब्लैक बॉक्स (CVR और FDR) के पूरे डेटा की सार्वजनिक जांच हो
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प्लेन की डिज़ाइन और फ्यूल सिस्टम में खामियों की निष्पक्ष जांच हो
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बोइंग को कानूनी जवाबदेही के दायरे में लाया जाए
AAIB रिपोर्ट – 3 सेकंड में दोनों इंजन हुए थे ‘कट ऑफ’
8 जुलाई 2025 को जारी AAIB की प्रारंभिक रिपोर्ट के अनुसार:
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प्लेन टेकऑफ के 3 सेकंड बाद दोनों इंजन के फ्यूल कंट्रोल स्विच रन से कट-ऑफ में चले गए
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ईंधन की सप्लाई बंद होते ही इंजन फेल हो गए
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पायलट कंट्रोल नहीं कर सके और प्लेन गिर गया
अब सवाल उठता है:
क्या यह पायलट की गलती थी या सिस्टम फेलियर?
और बोइंग ने क्यों नहीं देखा यह रिस्क पहले?
बोइंग पहले से जांच के घेरे में – मुश्किलें और बढ़ेंगी?
बोइंग पहले ही:
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इथोपियन एयरलाइंस और इंडोनेशिया के 737 Max क्रैश
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FAA और NTSB की प्रोडक्ट क्वालिटी जांच
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लीक हुए इंटरनल चैट्स और मेल्स
जैसे कई विवादों में उलझ चुकी है।
अब अगर यह केस आगे बढ़ा और कोर्ट ने सुनवाई शुरू की, तो:
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बोइंग की ग्लोबल इमेज को झटका
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भारत-अमेरिका के एविएशन डील्स पर असर
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और संभव है कि मुआवज़े की भारी भरकम रकम भी देनी पड़े
एकमात्र सर्वाइवर बोले – “दरवाजा टूटा, कूद गया… और बच गया”
सीट 11A पर बैठे विश्वशकुमार रमेश को लोग “मिरेकल मैन” कह रहे हैं। हादसे के वक्त प्लेन का दरवाजा टूटा और उन्होंने छलांग लगाई – और बच गए।
बाकी 242 यात्रियों और 19 ग्राउंड पर्सन्स की मौत ने इसे बना दिया भारत का सबसे भयावह विमान हादसा।
भारत की नजरें अमेरिका की अदालत पर
भारत की सरकार, एयर इंडिया, AAIB और अब पीड़ित परिवार — सभी की नजरें अब अमेरिका की कोर्ट और बोइंग की अगली चाल पर टिकी हैं।
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क्या कोर्ट स्वतंत्र जांच की मंज़ूरी देगा?
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क्या बोइंग जिम्मेदारी लेगा?
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और क्या एयरलाइन और विमान निर्माता के बीच पारदर्शिता बढ़ेगी?
प्लेन अगर गिरा है, तो भरोसा भी गिरा है… और अब उठेगा सवालों का तूफान!
इस केस से एक बड़ा संदेश जा सकता है – “जवाबदेही सिर्फ हवा में नहीं, ज़मीन पर भी तय होनी चाहिए।” बोइंग के लिए अब सिर्फ टेक्नोलॉजी नहीं, ट्रस्ट भी बचाना मुश्किल हो सकता है।
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