“बसपा में आकाश की लैंडिंग, अब सपा से सियासी डॉगफाइट तय!”

सुरेन्द्र दुबे ,राजनैतिक विश्लेषक
सुरेन्द्र दुबे ,राजनैतिक विश्लेषक

बहुजन समाज पार्टी (BSP) लंबे समय से उत्तर प्रदेश की राजनीति में सियासी कोमा में पड़ी थी। लेकिन अब मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद को पार्टी का मुख्य राष्ट्रीय कोऑर्डिनेटर बनाकर इस कोमा से बाहर लाने की पूरी तैयारी कर ली है।

यह सिर्फ एक संगठनात्मक फेरबदल नहीं, बल्कि एक पॉलिटिकल सर्जरी है। 2027 विधानसभा चुनावों से पहले मायावती ने साफ संकेत दे दिए हैं कि अब ‘आकाश’ से ही पार्टी का सूरज निकलेगा।

बसपा का इतिहास: कभी सिरमौर, आज सिर्फ एक विधायक

2012 में सत्ता से बाहर। 2014, 2019 लोकसभा चुनाव में लगभग साफ़। 2022 में बसपा को मिली सिर्फ एक सीट। 2025 आते-आते लोकसभा में एक भी सांसद नहीं। जहां कांशीराम ने आंदोलन से शुरुआत कर क्रांति रची, वहीं आज BSP एक खामोश किताब बन चुकी है। मायावती की पकड़ भी कमजोर हो चुकी है — न ज़मीनी कार्यकर्ता बचे, न फीडबैक सिस्टम।

अब ‘आकाश’ की एंट्री: बसपा के लिए ‘युवा पॉलिटिक्स का लॉन्च पैड’?

आकाश आनंद अब बसपा की नंबर 2 पोजिशन पर हैं। ये बदलाव सिर्फ पारिवारिक विरासत नहीं, बल्कि रणनीतिक मोर्चाबंदी है:

सभी राज्यों और सेक्टर कोऑर्डिनेटर्स की सीधी मॉनिटरिंग आकाश करेंगे। टिकट वितरण, प्रचार अभियान और संगठन संचालन में फ्रंटलाइन रोल। “मुख्य राष्ट्रीय कोऑर्डिनेटर” = असल में अगला चेहरा।

अब सवाल है – क्या आकाश BSP को फिर से ‘बहुजन ताकत’ बना पाएंगे?

रामजी गौतम का डिमोशन: एक और अंदरूनी संदेश

जिस नेता को आधे देश का भार सौंपा गया था, अब सिर्फ 4 राज्यों में सीमित कर दिया गया है।
यह बताता है:
 BSP में अब केंद्रबिंदु आकाश होंगे।
 पुराने दिग्गज अब सिर्फ सहायक भूमिका निभाएंगे।

एक तरह से यह साफ़ कर दिया गया है: “जो नई चाल चलेगा, वही BSP को आगे ले जाएगा।”

फिर जीवित करने के लिए आकाश को खेलने होंगे ये सियासी ‘गेम्स’

दलित वोटबैंक की ‘घर वापसी’

BJP और कांग्रेस ने दलित मतदाताओं को खूब लुभाया।
आकाश को जमीनी स्तर पर जाकर एक बार फिर ‘जय भीम’ की टंकार को गूंजाना होगा।

सोशल मीडिया और युवाओं से सीधा जुड़ाव

आज की राजनीति में ट्विटर, इंस्टाग्राम और रील्स ही असली जनसभा हैं।
आकाश को अपना ‘युवा’ ब्रांड जमाना होगा।

गठबंधन की राजनीति में मास्टर स्ट्रोक

BSP अकेले दम पर सत्ता में नहीं लौट सकती।
आकाश को प्रभावशाली क्षेत्रीय और सेक्युलर दलों से गठबंधन के रास्ते तलाशने होंगे।

गैर-यादव OBC + मुस्लिम गठजोड़

जब सपा पर यादव-मुस्लिम समीकरण का टैग लगा है, BSP को नया ब्लॉक बनाना होगा — दलित + गैर-यादव OBC + मुस्लिम = नया वोटबैंक?

निष्क्रिय कार्यकर्ताओं में नई जान

BSP का सबसे बड़ा संकट — ग्राउंड लेवल पर ‘सन्नाटा’। आकाश को ब्लॉक लेवल से लेकर सेक्टर तक एक्टिविज़्म जगाना होगा।

विश्वनाथ पाल की दोबारा ताजपोशी: OBC समीकरण साधने की चाल

पाल-गड़रिया समाज से आने वाले विश्वनाथ पाल को लगातार दूसरी बार प्रदेश अध्यक्ष बनाकर BSP ने साफ़ किया कि OBC मतदाताओं को फिर से जोड़ा जाएगा

पहली बार किसी को लगातार दो कार्यकाल — यानी Maya Ji का फुल भरोसा!

BSP vs SP: क्या दोबारा छिड़ेगा मुकाबला?

सपा बसपा
यादव + मुस्लिम वोट दलित + गैर-यादव OBC टारगेट
युवा चेहरा: अखिलेश अब नया चेहरा: आकाश
सोशल मीडिया पर मज़बूत अभी शुरुआत करनी होगी
सत्ता की दावेदारी अस्तित्व की लड़ाई

और हाँ, BJP भी अभी चुप बैठने वाली नहीं!

बसपा की हालत वैसी ही थी जैसे पुराने जमाने का टेप रिकॉर्डर — आवाज़ आती थी, लेकिन रील घूमती नहीं थी।
अब मायावती ने नई रील (आकाश) लगा दी है…अब देखना ये है कि म्यूज़िक बजेगा या फिर… पावर कट हो जाएगा। 

मायावती ने अपनी राजनीतिक विरासत अब आकाश आनंद के कंधों पर रख दी है। 2027 चुनाव सिर्फ BSP के लिए नहीं, आकाश की सियासी परीक्षा भी होंगे। अगर उन्होंने सही दांव खेले, तो बसपा फिर से पॉलिटिकल वेंटिलेटर से बाहर आ सकती है
वरना… इतिहास में बस एक और विरासत का अध्याय जोड़ दिया जाएगा।

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