ICC अरेस्ट वारंट — तालिबान के ‘कानून’ अब खुद कानून के घेरे में

Saima Siddiqui
Saima Siddiqui

2021 में जब तालिबान फिर से सत्ता में लौटे, तो ऐसा लगा जैसे अफगानिस्तान में घड़ी उल्टी चलने लगी हो
पहले 1996 से 2001 का तालिबानी दौर तो सबने झेला था — लेकिन अब? इस बार लोगों को उम्मीद थी कि “शायद अब थोड़ा मॉडर्न होंगे”, लेकिन नहीं!
तालिबान का ‘अपडेटेड वर्जन’ भी वहीं पुराना कोड चला रहा है, जिसमें महिलाओं की आज़ादी “वायरस” मानी जाती है और शिक्षा “सिस्टम एरर”।

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महिलाओं को क्या मिला? पर्दा, पाबंदी और परेशानियाँ

जैसे ही सत्ता में आए, महिलाओं के लिए तालिबान ने सबसे पहले “Stay Home” अपडेट जारी कर दिया।

  • बाहर निकलना हो तो पहले खुद को परदे में लपेटो

  • नौकरी? भूल जाओ

  • स्कूल? बंद

  • दर्जी से कपड़े सिलवाने की इजाज़त? नहीं, क्योंकि नाप लेना “हराम” घोषित हो गया

High heels भी बैन हो गईं, शायद इसलिए कि उनकी आवाज़ से मर्दों की मर्दानगी कांपने लगती है?

ICC ने कहा: बहुत हुआ, अब ‘तालिबानी न्याय’ नहीं चलेगा

महिलाओं पर ज़ुल्म की लंबी फेहरिस्त के बाद अब इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट (ICC) ने फिर से एक्शन लिया है।
जनवरी 2025 में तालिबान नेता हिबतुल्लाह अखुंदजादा और अब्दुल हकीम हक्कानी के खिलाफ एक और अरेस्ट वारंट जारी हुआ है — वही पुराने आरोपों के साथ, लेकिन इस बार इंटरनेशनल दबाव थोड़ा और ज़्यादा।

यानी महिलाओं की आज़ादी को कैद करने वाले अब खुद गिरफ्तारी की दौड़ में हैं।

ICC क्या कर सकता है? और तालिबान कहाँ छुप सकता है?

ICC कोई थानेदार नहीं, लेकिन जब बात मानवाधिकारों की आती है तो दुनिया की अदालत बन जाता है।

  • उसके पास खुद की पुलिस नहीं होती

  • लेकिन जैसे ही कोई आरोपी देश की सीमा पार करता है, सदस्य देश उसे सीधे गिरफ्त में ले सकते हैं

मतलब अब तालिबान नेता विदेश यात्रा नहीं कर सकते — वर्ना टूरिस्ट वीज़ा के साथ हथकड़ी भी मिल सकती है!

तालिबान का लॉजिक: महिलाएं पढ़ेंगी तो सवाल करेंगी — और वो हमें मंजूर नहीं!

तालिबान का तर्क सीधा है:
“अगर महिलाएं शिक्षित हो गईं, तो वो सवाल करेंगी। और हमें जवाब देना नहीं आता!”
इसलिए बेहतर है कि उन्हें किताबें छोड़कर चूल्हे तक सीमित रखा जाए।

ICC का जवाब भी उतना ही सीधा है — “अगर आप अधिकार छीनेंगे, तो हम आपको दुनिया से छीन लेंगे।”

जब ज़ुल्म की हद पार हो, तो इंटरनेशनल कानून दरवाज़ा खटखटाता है

तालिबान आज भी सोचते हैं कि वे अफगानिस्तान के मालिक हैं। लेकिन अब ICC ने दिखा दिया है कि दुनिया बदल चुकी है — अब सिर्फ ‘दार’ नहीं, ‘अदालत’ भी चलती है।

और शायद अगली बार जब तालिबान नेता किसी महिला को स्कूल जाने से रोकें, तो उन्हें याद आए — “हम भी दुनिया की लिस्ट में वॉन्टेड हैं।”

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