
राजधानी लखनऊ की गर्मी से लोग तंग थे — बादलों ने सोचा चलो थोड़ा कूलिंग दे देते हैं। लेकिन जैसे ही बारिश ने शहर को भिगोया, सहादतगंज के मंसूर नगर में एक मकान ने ठान लिया कि अब रिटायरमेंट का वक्त है।
तेज बारिश के बीच गिरधारी स्कूल के पास बना पुराना मकान बीच से चिरक गया, और मोहल्ले में मच गया हड़कंप।
आज़म के जलवे से कांपते थे नेता, अब ऐसा क्या हुआ कि मिलने से कतराते हैं
पुलिस-नगर निगम की रेस: मकान ढहने के बाद पहुंची ‘अलर्ट मोड’ में टीम
जैसे ही मकान गिरा, पुलिस और नगर निगम की टीम रेस में लग गई — “पता था, पर हम कुछ कर नहीं पाए” वाला रेस।
लोगों को बाहर निकाला गया, आसपास के घर खाली कराए गए, मलबा हटाने की शुरुआत हुई, और इंस्पेक्टर साहब ने बयान दे दिया:
“सौभाग्य से कोई जनहानि नहीं हुई।”
नगर निगम की चेतावनी = ‘WhatsApp ब्लू टिक’ जैसा असर
नगर निगम ने कई बार नोटिस दिया, चेतावनी दी, “भाई मकान खाली करो।”
लेकिन मकान मालिक बोले — “अभी तो ठीक-ठाक खड़ा है, देख लेंगे!”
अब जब घर खुद कह बैठा “बस बहुत हो गया, अब मैं गिरता हूँ”, तब जाकर सबको इसकी जर्जर आत्मा याद आई।
पड़ोसियों की किस्मत, मकान की किस्मत से बेहतर निकली
मकान गिरा, पर किस्मत से सब लोग बाहर निकल आए। दीवार पड़ोसी के घर की ओर झुकी, लेकिन गिरी नहीं। जिस तरह भारत-पाक बॉर्डर पर गोली रुक जाती है, वैसे ही ये दीवार भी “पड़ोस में तबाही मचाने” से रुक गई।
सवाल ये है: क्या अब भी जागेगा सिस्टम?
हर बार की तरह बयान आ गया, टीम मौके पर है, और चेतावनी फिर से दी गई। लेकिन लखनऊ की गलियों में और भी सैकड़ों ऐसे मकान हैं जो कह रहे हैं-“हम भी तैयार बैठे हैं, बस एक बारिश और!”
लखनऊ में मौसम ने राहत दी, लेकिन पुराने मकानों ने फिर से सबको डरा दिया। बारिश ने गर्मी हटाई, पर नगर निगम की नींद नहीं जगाई।