जनगणना 2027: सरकार बोले गिनती शुरू करो, हम फिर से गिनाए जाएंगे?

Saima Siddiqui
Saima Siddiqui

भारत में आख़िरी बार जनगणना 2011 में हुई थी। तब लोग स्मार्टफोन नहीं, सैमसंग के छोटे टॉर्च फोन से बात करते थे। अब सरकार ने ऐलान किया है कि अगली जनगणना 2027 में होगी, वो भी दो चरणों में। मतलब, इतने सालों में जितने बच्चे पैदा हुए, अब सरकार उन्हें कागज पर उतारेगी, ताकि योजनाओं की पिच तैयार हो सके।

जनगणना 2027: सरकार बोले गिनती शुरू करो, हम फिर से गिनाए जाएंगे?

जनगणना की आधार तारीख:

ज़्यादातर भारत के लिए – 1 मार्च 2027 की रात 12 बजे

बर्फीले और ठंडे क्षेत्रों के लिए – 1 अक्टूबर 2026

“ठंड बढ़ी तो तारीख घटा दी” – लद्दाख और कश्मीर वालों के लिए स्पेशल व्यवस्था

गृह मंत्रालय ने लद्दाख, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल और उत्तराखंड के लिए जनगणना की तारीख 6 महीने पहले रख दी है। सरकार का कहना है कि “बर्फ में कागज गीला हो जाता है, और पेन नहीं चलता।”
मतलब – पहाड़ों की ठंड ने Excel शीट को भी कांपने पर मजबूर कर दिया।

क्या इस बार जनगणना डिजिटल होगी?

सूत्रों के अनुसार, 2027 की जनगणना में मोबाइल ऐप्स और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल किया जाएगा। पर अफसरों को डर है कि लोग “डिजिटल इंडिया” को Google Forms समझकर मजाक में भर न दें।

जनसंख्या बढ़ी, सब्र घटा – आंकड़े गिनने में लगेगा समय!

2011 की जनसंख्या लगभग 121 करोड़ थी। 2027 तक 150 करोड़ पार होने की संभावना है। सरकार को डर है कि कहीं गिनते-गिनते जनसंख्या और न बढ़ जाए। गिनती चालू है, बच्चा दो और आ गया…” – यही होगा 2027 की सबसे बड़ी जनगणना चुनौती!

2027 की जनगणना से क्या-क्या बदलेगा?

वोटर डाटा अपडेट होगा

स्कीम्स के लिए वास्तविक लाभार्थी सूची बनेगी

शहरों और गांवों की विकास नीति को नया आकार मिलेगा

और सबसे जरूरी: राजनेताओं को भाषण के लिए “तथ्यात्मक सामग्री” मिल जाएगी!

गिनती शुरू होने से पहले सवालों की लाइन

जनगणना 2027 का ऐलान भले ही हो गया हो, लेकिन जनता के मन में कई सवाल हैं:

क्या इस बार जाति आधारित जनगणना होगी?

क्या LGBTQIA+ पहचान को शामिल किया जाएगा?

क्या ऑनलाइन सर्वे के बहाने OTP वाले फर्जी कॉल आएंगे?

लेकिन असली सवाल तो ये है –क्या हम गिने जाएंगे या फिर सिर्फ फिर से गिनाए जाएंगे?”

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