
सरकारी निर्माण कार्यों में quality अक्सर कागजों तक ही सीमित रह जाती है—और ज़मीनी हकीकत कुछ और ही होती है। सतना जिले की कोठी तहसील में यही तस्वीर उस वक्त सामने आई, जब PWD द्वारा कराए जा रहे सड़क नवीनीकरण कार्य की पोल औचक निरीक्षण में खुल गई।
पोड़ी–मनकहरी रोड: नवीनीकरण या खानापूर्ति?
पोड़ी–मनकहरी मार्ग (लंबाई 3 किमी) के नवीनीकरण के नाम पर सड़क नहीं, बल्कि लीपापोती बिछाई जा रही थी। डामर की मोटाई हो या क्वालिटी—सब कुछ PWD के तय मानकों से कोसों दूर था।
ऐसी सड़कें देखकर लगता है कि डामर वजन से नहीं, “अनुभव” से डाला गया हो।
मंत्री प्रतिमा बागरी का औचक निरीक्षण, मची हड़कंप
राज्यमंत्री प्रतिमा बागरी जब मौके पर पहुंचीं, तो सड़क की हालत ने विभागीय दावों की हवा निकाल दी। निरीक्षण के दौरान PWD की कार्यप्रणाली पर सीधे सवाल खड़े हो गए।
कार्यपालन यंत्री की सफाई, लेकिन हकीकत बेनकाब
जब कार्यपालन यंत्री बी.आर. सिंह से जवाब मांगा गया, तो उन्होंने कहा—“कुछ हिस्से रिजेक्ट किए गए हैं।”
लेकिन मंत्री के सामने सच्चाई साफ थी— समस्या कुछ हिस्सों की नहीं। पूरी सड़क ही घटिया निर्माण की मिसाल थी।
Translation:
जब पूरी सड़क खराब हो, तो “कुछ हिस्सा” कहना भी एक तरह की इंजीनियरिंग होती है।

ठेका निरस्त, जवाबदेही तय करने के संकेत
मंत्री प्रतिमा बागरी ने मौके पर ही घटिया निर्माण पर कड़ी नाराजगी जताई। ठेका निरस्त करने के निर्देश दिए और जिम्मेदार अधिकारियों को स्पष्ट चेतावनी दी।
यह कार्रवाई उन अफसरों और ठेकेदारों के लिए साफ संदेश है, जो सरकारी पैसों को “मैनेजमेंट स्किल” समझ लेते हैं।
Bigger Picture: सिस्टम की बीमारी या ईमानदार एक्शन की शुरुआत?
सवाल सिर्फ एक सड़क का नहीं है— सवाल उस मिलीभगत वाली व्यवस्था का है, जहां फाइलों में सड़क चमकती है। और ज़मीन पर पहली बारिश में बह जाती है।
मंत्री का यह एक्शन अगर follow-up तक पहुंचता है, तो यह good governance की मिसाल बन सकता है।
लीपापोती पर ब्रेक, लेकिन निगरानी जरूरी
सतना की यह घटना बताती है कि निरीक्षण होगा, तो सच निकलेगा। अब देखना होगा कि यह कार्रवाई सिर्फ खबर बनती है या PWD सिस्टम में स्थायी सुधार की शुरुआत।
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