
2025 की गर्मियों ने अमेरिका को फिर एक बार सड़कों पर उतार दिया है – बैनर पर लिखा है – NO KINGS!
ये कोई Netflix शो नहीं, बल्कि डोनाल्ड ट्रंप की ‘तानाशाही’ लीलाओं के खिलाफ जनता की असली प्रतिक्रिया है। पैसिफिक से अटलांटिक तक, अमेरिका गूंज रहा है – “No Kings, Just Constitution!”
कमला हैरिस का डिजिटल बिगुल: “हम जनता हैं, Subjects नहीं!”
डेमोक्रेटिक नेता कमला हैरिस ने X (पूर्व में ट्विटर) पर जनता से कहा, सत्ता जनता की है, शाही खानदान की नहीं। व्हाइट हाउस ताज पहनने की जगह नहीं, जवाबदेही की कुर्सी है।
और जनता सुन ही नहीं रही – गूंजा रही है।
“मैं राजा नहीं हूं”, पर जनता बोले – “आप Crown फिट कर ही रहे हो!”
एक इंटरव्यू में ट्रंप बोले:
“मैं राजा नहीं हूं।”
लेकिन विरोधियों ने कहा – “भाषण तो प्रेसीडेंट का है, पर हरकतें सीज़न-2 वाले विलेन की लग रही हैं।”
Shutdown + Showdown = Protest Explosion
सीनेट ठप है, सरकारी दफ्तर बंद हैं, संघीय बल तैनात हैं और ट्रंप “राज्य सरकारों को उनके ही घर में दरवाज़ा खटखटाने” की धमकी दे रहे हैं।
ये कोई शांति काल नहीं – ये संवैधानिक कुश्ती का दौर है।

जहां देखो विरोध – LA से लेकर D.C. तक झड़प ही झड़प!
- लॉस एंजेलिस में आव्रजन अधिकारियों से भिड़ंत
- शिकागो के गवर्नर बने ट्रंप के सबसे बड़े आलोचक
- 2,500 से ज़्यादा विरोध प्रदर्शन – और गिनती जारी है
विरोध प्रदर्शन अब सिर्फ पोस्टर तक सीमित नहीं, ये एक नया जनांदोलन बन चुका है।
नो किंग्स आंदोलन: आधुनिक अमेरिका की आज़ादी की दूसरी किस्त?
इस आंदोलन का नाम “No Kings” कोई यूं ही नहीं रखा गया। ये सीधा इशारा है अमेरिका की ब्रिटिश राज से आज़ादी की जड़ों की ओर।
आज भी अमेरिकी जनता यही कह रही है, “हमें फिर से किसी ‘George’ (King या Trump) की ज़रूरत नहीं!”
लोकतंत्र का वीकेंड वॉरियर मोड ON है!
राष्ट्रपति ट्रंप मानें या न मानें, लेकिन जनता का संदेश साफ है – “हम आपको वोट देकर राष्ट्रपति बना सकते हैं, राजा नहीं!”