
बिहार में सियासी ऊबाल अभी से दिखने लगा है। हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (HAM) के प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने बीजेपी और एनडीए को खुली सलाह दी है — “चुनाव से पहले मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करो ।
“कुछ भी अस्पष्ट नहीं रहना चाहिए। महागठबंधन में यही अस्पष्टता है, इसलिए आज तक सीटें तय नहीं हुईं।
NDA को स्पष्टता दिखानी चाहिए।” – जीतनराम मांझी
अमित शाह का बयान और कट-क्लिप कॉन्ट्रोवर्सी
हाल ही में पटना में एक चैनल के कार्यक्रम में अमित शाह ने कहा कि “बिहार का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा, इसका फ़ैसला चुनाव बाद विधायक दल की बैठक में होगा।”
इस बयान के बाद हलचल तेज़ हुई, तो BJP बिहार यूनिट को सोशल मीडिया पर आना पड़ा। उन्होंने X (पूर्व ट्विटर) पर क्लिप शेयर करते हुए लिखा:
“क्लिप काटकर झूठ फैलाना छोड़ो, पहले चेक करो कि तुम्हारा गठबंधन बचा भी है या नहीं?”
और हां, अमित शाह की पूरी क्लिप में यह भी कहा गया था:

“हम अभी नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही चुनाव लड़ रहे हैं।”
NDA में ‘चेहरा’ साफ़, या धुंध?
- क्या नीतीश कुमार वाकई NDA के घोषित सीएम फेस हैं?
- या सिर्फ “फिलहाल” वाले शब्द के सहारे चल रही है पूरी स्क्रिप्ट?
- मांझी की मांग NDA को मुश्किल में डाल रही है या दिशा दे रही है?
NDA Vs महागठबंधन – चेहरा बनाम भ्रम
महागठबंधन की हालत तो मांझी ने पहले ही कटघरे में डाल दी — “वहां तो सीटों का फैसला भी नहीं हो पाया, चेहरा तो दूर की बात है।”
लेकिन NDA में भी जब खुद सहयोगी दल सवाल पूछने लगें — तो क्या इसे अंदरूनी असहजता मानें या लोकतांत्रिक मतभेद?
राजनीतिक गलियारों में चर्चा गर्म है कि 2025 के चुनाव में चेहरे की घोषणा भरोसा दिलाएगी, या “विधायक दल के बाद तय करेंगे” वाला फॉर्मूला ही चलेगा?
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