
कुछ लोग ऐसी रफ्तार से अपशब्द उड़ाते हैं जैसे वंदे भारत ट्रेन पटरियों पर दौड़ती है — तेज, बेफिक्र और बिना ब्रेक के। पर अब, वही लोग “जय माता दी” बोल रहे हैं, और WhatsApp स्टेटस पर माँ दुर्गा की फोटो डाल चुके हैं।
अचानक हुआ भक्ति का अवतार
नवरात्रि आते ही इन warriors को जैसे कोई आध्यात्मिक लाइट लग जाती है। जो कल तक “तेरी माँ…” से शुरू करते थे, अब वही लोग “जय माता दी ” से सुबह की शुरुआत कर रहे हैं। भाई, change तो अच्छा है… पर इतना sudden कैसे?
“भक्ति-फ्लेक्सिंग”
आज के दौर में spirituality भी एक ट्रेंडिंग कांटेंट फॉर्मेट बन चुका है। reels में गरबा स्टेप्स, background में “काली काली आंखों वाली मां” का remix, और कैप्शन में – “Shakti within me awakened ”।
नो गाली, नो मीट, बस माता की भक्ति
इन 9 दिनों के लिए कुछ लोग जैसे spiritual detox mode में चले जाते हैं।
Non-veg छोड़ा
Tinder uninstall किया

गाली पर खुद ही beep डाल दी यानी इंस्टाग्राम का रामायण काल चालू!
लेकिन दसवें दिन?
दशहरा के आते-आते फिर से वही पुराना आ जाता है- “System की ऐसी की तैसी, तेरी माँ की…” अब कोई इनसे पूछे – “माँ दुर्गा ने क्या यही सिखाया?”
आस्था अच्छी चीज़ है। लेकिन seasonal श्रद्धा को content strategy बनाना, और माँ को एक PR स्टंट की तरह यूज़ करना, ये हमारे समाज की bhakti vs branding वाली reality दिखाता है। सच्ची भक्ति वो है जो ऑफलाइन भी टिके, सिर्फ स्टोरीज़ में नहीं।
जय माता दी, लेकिन 10 दिन बाद भी!
