
ग़ज़ा में जारी युद्ध और बंधकों की बिगड़ती स्थिति को लेकर इसराइल के कई शहरों में शनिवार को हज़ारों लोग सड़कों पर उतर आए।
इन प्रदर्शनकारियों की प्रमुख मांग है – तत्काल युद्धविराम और बंधकों की सुरक्षित रिहाई।
सेना की योजना पर सवाल, बंधकों की जान खतरे में!
प्रदर्शन कर रहे नागरिकों का मानना है कि ग़ज़ा सिटी पर सेना का अगला हमला वहां फंसे बंधकों की जान को खतरे में डाल सकता है।
भीड़ में कई परिवार ऐसे थे जिनके अपने अब भी बंधक बने हुए हैं। एक प्रदर्शनकारी ने कहा, “हम अपने परिजनों को खोने के लिए नहीं लड़ रहे – हम उन्हें वापस चाहते हैं।”
पूर्व रक्षा मंत्री बेनी गैंट्ज़ की अपील – “एकता सरकार बने, बंधक पहले”
इसराइल के पूर्व रक्षा मंत्री बेनी गैंट्ज़ ने एक अंतरिम राष्ट्रीय एकता सरकार बनाए जाने की अपील की है, जिसका पहला उद्देश्य बंधकों की सुरक्षित रिहाई हो।
उनका मानना है कि मौजूदा राजनीतिक संरचना काफ़ी विभाजित और अतिवादी हो गई है, जिससे मानवता पर संकट गहराता जा रहा है।
PM नेतन्याहू के गठबंधन पर दबाव
प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू की सरकार को समर्थन दे रहे अति-दक्षिणपंथी गठबंधन दल, हमास के साथ किसी भी तरह की डील के सख़्त विरोधी हैं।
यही वजह है कि युद्धविराम की प्रक्रिया बार-बार टलती जा रही है, जिससे देश के अंदर भी राजनीतिक असंतोष उभर रहा है।
ग़ज़ा में हर दिन मौतें – UN ने जताई गहरी चिंता
ग़ज़ा स्वास्थ्य मंत्रालय ने दावा किया है कि पिछले 24 घंटे में 60 से अधिक मौतें हुई हैं — जिनमें कई मासूम बच्चे और महिलाएं भी शामिल हैं।
कारण बताया गया है: इजराइली हमले और कुपोषण।

इस पर प्रतिक्रिया देते हुए संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने कहा:
“ग़ज़ा की स्थिति मानवता की विफलता है। अब और देरी नहीं – युद्धविराम, बंधकों की रिहाई और मानवीय सहायता की तत्काल जरूरत है।”
एक युद्ध, दो असंतोष – बाहर विरोध, अंदर राजनीतिक घमासान
इसराइल में लोगों की सड़कों पर उतरना अब सिर्फ सरकार की नीति के खिलाफ़ विरोध नहीं, बल्कि बंधकों की जान की गुहार बन चुका है।
दूसरी ओर, ग़ज़ा में हालात हर दिन बदतर होते जा रहे हैं — जहां न रोटी है, न राहत, सिर्फ रेत और राख।
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