
बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने एक बार फिर चुनाव आयोग पर करारा हमला बोला है। तेजस्वी ने आरोप लगाया है कि SIR (Summary Revision of Electoral Rolls) प्रक्रिया में भारी गड़बड़ियां की जा रही हैं और आयोग बीजेपी के इशारे पर काम कर रहा है।
निर्वाचन आयोग पर “वोट की डकैती” का आरोप
तेजस्वी ने कहा कि,
“निर्वाचन आयोग वोट की डकैती कर रहा है। SIR में भारी लापरवाही सामने आ रही है, लेकिन अब तक चुनाव आयोग ने एक भी प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं की।”
उन्होंने 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव की ओर इशारा करते हुए दावा किया कि विपक्ष को जानबूझकर हराया गया। उनके अनुसार, कई सीटों पर हार 12,000 वोटों से भी कम अंतर से हुई, जो साफ इशारा करता है कि कुछ गड़बड़ हुआ।
EPIC नंबर घोटाला: मेयर और BJP नेताओं पर गंभीर आरोप
प्रेस कॉन्फ्रेंस में तेजस्वी यादव ने मुजफ्फरपुर की मेयर निर्मला देवी पर आरोप लगाया कि उनके पास दो अलग-अलग EPIC नंबर हैं, वो भी एक ही विधानसभा क्षेत्र से। यही नहीं, उनके देवरों के पास भी दो-दो EPIC नंबर मौजूद हैं, जिनमें उम्र तक अलग-अलग दर्ज है।
तेजस्वी बोले:
“ये सिर्फ वोटर डुप्लिकेशन नहीं, बल्कि सुनियोजित वोट चोरी की साजिश है।”
गुजरात के लोग बने बिहार के वोटर?
तेजस्वी ने BJP के प्रभारी भीखूभाई दलसानिया पर आरोप लगाया कि उन्होंने 2024 में गुजरात में वोट डाला, लेकिन अब वे पटना के वोटर हैं। तेजस्वी ने इसे चुनावी साजिश बताया और कहा कि
“क्या इतनी जल्दी कोई राज्य बदलकर वोट डाल सकता है? ये गंभीर धोखाधड़ी है।”
‘जिंदा’ मृतक वोटर
तेजस्वी ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट में SIR का मामला लंबित है और कल जिनके नाम मृतक के तौर पर दर्ज थे, उन्हें कोर्ट में जिंदा पेश किया गया। इससे पूरे वोटर डेटा की विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा हो गया है।
CCTV भी हटवाया गया: चंडीगढ़ चुनाव का उदाहरण
तेजस्वी ने चंडीगढ़ मेयर चुनाव का हवाला देते हुए कहा:
“जब CCTV में गड़बड़ी पकड़ी गई, तो चुनाव आयोग ने वहां से CCTV ही हटा दिया।”
वो बोले कि अब CBI और ED से काम नहीं चला तो BJP चुनाव आयोग का इस्तेमाल कर रही है।
तेजस्वी का सीधा आरोप: “EC बना BJP का टूल”
तेजस्वी यादव ने चुनाव आयोग को सीधा निशाने पर लेते हुए कहा कि आयोग BJP के साथ मिलकर काम कर रहा है।
“विपक्षी वोट कम करवाए जा रहे हैं, BJP नेताओं के लिए दो-दो EPIC नंबर बनाए जा रहे हैं। ये लोकतंत्र पर सीधा हमला है।”
तेजस्वी यादव के इन आरोपों ने SIR और चुनाव आयोग की निष्पक्षता को लेकर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। यदि ये दावे सच हैं, तो यह भारतीय लोकतंत्र की नींव पर सीधा वार होगा। अब सबकी निगाहें सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई और चुनाव आयोग की प्रतिक्रिया पर हैं।
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