
सपा का ‘सशक्तिकरण’, बीजेपी का ‘भ्रम’? PDA की असली थाली में क्या परोसा जा रहा है? राजनीतिक रसोई में इन दिनों एक ही व्यंजन सबसे ज़्यादा ट्रेंड कर रहा है — PDA। पर सवाल ये है कि इस डिश का ओरिजिनल शेफ कौन है?
रुचि वीरा का तीखा ‘सटायर तड़का’
मुरादाबाद की सपा सांसद रुचि वीरा ने बीजेपी के PDA (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) फॉर्मूले पर ज़बरदस्त पलटवार किया है। उन्होंने बीजेपी पर आरोप लगाया कि उसने “नाम का जादू” चला रखा है, लेकिन असली काम शून्य है।
“समाजवाद जोड़ता है, बीजेपी तोड़ती है!”
रुचि वीरा ने कहा, “BJP PDA को सिर्फ स्लोगन समझ रही है, जबकि सपा के लिए यह एक सामाजिक आंदोलन है।”
PDA = सशक्तिकरण की पाठशाला
रुचि वीरा ने दो टूक कहा कि सपा का PDA कोई पॉलिटिकल पैकेज नहीं, बल्कि पिछड़ों, दलितों और अल्पसंख्यकों को mainstream में लाने की सच्ची कोशिश है।
“यह दिखावा नहीं, यह बदलाव है।” सपा का PDA सिर्फ वोट नहीं, वॉइस बनाना चाहता है।
ऑपरेशन ‘Sindoor’ पर वार:
“हर मसले में रंग घोलना BJP की पुरानी आदत”
ऑपरेशन सिन्दूर पर कटाक्ष करते हुए रुचि वीरा ने कहा कि “धार्मिक रंग” हर मुद्दे में मिलाना बीजेपी का ट्रेंड बन गया है। आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई सही है, लेकिन उस पर ‘शुद्ध राजनीतिक मसाला’ डालना बंद किया जाए।
सीजफायर पर सवाल और आधार-वोटर ID की गुत्थी
सीजफायर को लेकर रुचि वीरा ने सरकार से पारदर्शिता की मांग की और तंज कसते हुए पूछा:
“आखिर पीएम साहब इस मुद्दे पर चुप क्यों हैं? कहीं ये भी ‘मन की बात’ में ही न सुलझ जाए!”
साथ ही उन्होंने पूछा, “जब आधार से राशन, बैंक, गैस सब कुछ मिल सकता है, तो वोट क्यों नहीं?” — ये बयान सीधे सरकार के डबल स्टैंडर्ड पर तीखा वार था।
बिहार चुनाव और PDA का पैन-इंडिया प्लान
बिहार में PDA की ताकत पर बात करते हुए उन्होंने तेजस्वी यादव के मुद्दे पर चुप्पी तो साधी, लेकिन अखिलेश यादव की रणनीति पर भरोसा जताया।
“ये सिर्फ UP का एजेंडा नहीं, पूरे देश की सामाजिक गोलबंदी का ब्लूप्रिंट है।”
PDA वॉर 2025 — नाम में क्या रखा है?
राजनीति के इस रेसिपी बुक में अब सिर्फ नारे नहीं, उनकी सच्चाई और फील्ड वर्क भी टेस्ट किया जाएगा। समाजवाद की Desi Brand और बीजेपी की Corporate Tagline के बीच असली मुकाबला 2025 के चुनावों में देखने को मिलेगा। क्या आप तैयार हैं अगली चुनावी थाली के लिए, जिसमें PDA का असली स्वाद परखा जाएगा?