
आज सावन मास का चौथा और अंतिम सोमवार है, और बाबा महाकाल की परंपरागत रजत पालकी वाली नगर सवारी उज्जैन में निकल चुकी है। भक्तगण कह रहे हैं—
“सावन खत्म हो रहा है, मगर भक्ति का bandwidth full है।”
राजा निकले नगर भ्रमण पर – सलामी, सुरक्षा और श्रद्धा का संगम
महाकाल को सिर्फ देव नहीं, “उज्जैन का राजा” माना जाता है। और जब राजा नगर भ्रमण पर निकलें, तो तोपों की सलामी से लेकर पुलिस बैंड तक, हर चीज़ राजसी होनी ही चाहिए।
भोलेनाथ आज पांच रूपों में भक्तों को दर्शन दे रहे हैं—
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रजत पालकी में चंद्रमौलेश्वर,
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हाथी पर मन महेश,
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गरुड़ रथ पर शिव तांडव,
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नंदी रथ पर उमा महेश,
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और हज़ारों कैमरों में ‘HD अवतार’।
सवारी का रास्ता – भक्ति का Route Map
महाकाल मंदिर से शुरू हुई यह सवारी महाकाल चौराहा, गुदरी, रामघाट, ढाबा रोड, गोपाल मंदिर, पटनी बाजार होते हुए वापस मंदिर लौटेगी।
रामघाट पर शिप्रा जल से बाबा का अभिषेक होगा, और भक्त Social Media पर Live होंगे।
श्रद्धालुओं की संख्या – भक्तों की भीड़ नहीं, ट्रैफिक का ट्रेंड!
आज तड़के 2:30 बजे से 7 बजे तक ही 35,000 भक्त दर्शन कर चुके थे, और आंकड़े तो दिन ढलते-ढलते Instagram के रील्स जितने वायरल हो सकते हैं।
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पहले सोमवार: ढाई लाख
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दूसरा सोमवार: 3 लाख+
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तीसरा सोमवार: 4 लाख
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और आज? लाखों की आस, भीड़ का महासागर!
एक भक्त का रिएक्शन:
“सवारी तो एक दिन की है, लेकिन Planning हमने हफ्ते भर पहले से कर ली थी!”
बाबा की सवारी में भक्तों की कसमसाहट
सवारी इतनी भव्य है कि कई भक्त ट्रैफिक में फंसकर बाबा से यही प्रार्थना कर रहे थे—
“हे भोले, अगली बार Bullet पर दर्शन दे दो, कम से कम जाम तो ना लगे!”
सावन के अंतिम सोमवार को उज्जैन की सड़कों पर सिर्फ भक्तों का सैलाब नहीं, बल्कि भक्ति, संस्कृति और आस्था का संगम देखने को मिला। बाबा महाकाल की सवारी हर साल एक reminder बनकर आती है कि राजा अब भी प्रजा से मिलने खुद चलकर आते हैं। फर्क बस इतना है कि राजा घोड़े पर नहीं, रजत पालकी पर होते हैं… और भक्त मोबाइल कैमरे पर।
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