ऋतंभरा और बाबाओं के बयानों से मचा बवाल: संस्कार की क्लास या ट्रोल-सेशन

अजमल शाह
अजमल शाह

अगर आपको लग रहा है कि भारत में “बयानवीर” रिटायर हो चुके हैं, तो ठहरिए जनाब! एक बार फिर देश की सोशल मीडिया अदालत में सुनवाई चालू है। और कटघरे में खड़े हैं—अनिरुद्धाचार्य, प्रेमानंद महाराज और अब साध्वी ऋतंभरा। आरोप: संस्कार की ओवरडोज़ देकर, आज की लड़कियों को बिना ब्रेक के जज करना।

क्या कहा साध्वी ऋतंभरा ने?

एक वायरल वीडियो में साध्वी ऋतंभरा जी फुल मूड में थीं। उन्होंने कहा:

“हिंदू स्त्रियों को देखकर शर्म आती है। नंगे होकर पैसा कमाओगे? गंदे गाने और ठुमकों से पैसे कमाओगे? और उनके पतियों और पिताओं को कोई दिक्कत नहीं?”

सोशल मीडिया पर ये बयान वैसे ही छाया है जैसे सावन में हरियाली—पर इसमें कोई शांति नहीं, सिर्फ बवाल।

किसने क्या कहा—बाबा बोलें, जनता बोले ज़ोर से

पहले अनिरुद्धाचार्य बोले थे कि “25 साल की लड़की चार जगह मुंह मार चुकी होती है।” फिर प्रेमानंद महाराज ने डायलॉग मारा, “चार होटल का खाना खाने वाली लड़की, पति नहीं संभाल सकती।” अब साध्वी जी ने तो पूरी ‘मोरलिटी क्लास’ ही खोल दी।

लोग पूछ रहे हैं—“संस्कार सिखाना ठीक है, लेकिन क्या सबका ठेका इन्होंने ले लिया?”

जनता जनार्दन का जवाब

समर्थन:

  • “सही कहा साध्वी जी ने, आजकल के कपड़े और गाने बेशर्मी हैं।”

  • हिंदू संस्कृति बचाओ!

विरोध:

  • “संस्कार सिखाओ, लेकिन अपमान क्यों?”

  • “क्या लड़कों की संस्कार परीक्षा नहीं होती?”

  • “रसोई वाला उदाहरण उधार का था क्या?”

क्या बाबाओं को भी कंटेंट क्रिएटर मानें?

अब सवाल यह उठता है कि आखिर इन सभी को अचानक एक ही टॉपिक क्यों याद आ गया? क्या इनका भी यूट्यूब चैनल चलाना शुरू हो गया है? या फिर यह “मोरल बम” फोड़े बिना इनकी सुबह नहीं होती?

कुछ ट्रोल्स ने पूछा है:

  • “इनके प्रवचनों में Netflix नहीं चलता क्या?”

  • “संस्कार की दुकान में महिलाओं की सेल लगी है क्या?”

सोशल मीडिया मीटर: ट्रेंडिंग या ट्रोल्ड?

बाबा/साध्वी ट्रेंडिंग वजह माफी मांगी?
अनिरुद्धाचार्य 25 साल वाली लाइन
प्रेमानंद महाराज ‘चार होटल’ analogy
साध्वी ऋतंभरा ‘गंदे ठुमके’ बयान

संस्कार का चश्मा पहनिए, लेकिन दूसरों पर मत चढ़ाइए

हर किसी की जीवनशैली पर टिप्पणी करने का अधिकार किसने दिया? अगर कोई बात समाज सुधार के लिए है, तो भाषा और सम्मान दोनों ज़रूरी हैं। और अगर आपको “संस्कार पिलाना” ही है, तो उसमें समानता और समझदारी का स्वाद भी ज़रूरी है। वरना समाज नहीं, सोशल मीडिया ही आपको सुधार देगा!

इस बार PM मोदी बोलेंगे, लेकिन स्क्रिप्ट आप लिखेंगे- उठाओ कलम फिर

Related posts

Leave a Comment