नीतीश का “आशावान” दांव: वोट से पहले नोट, महिलाओं को किया खुश

आलोक सिंह
आलोक सिंह

बिहार में विधानसभा चुनाव की तारीखें अभी तय नहीं हुई हैं, लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने चुनावी घोषणाओं की “मानसून बरसात” शुरू कर दी है। इस बार निशाना साफ है — ग्रामीण महिलाएं। सीएम ने सीधे आशा और ममता कार्यकर्ताओं को लुभाने के लिए उनकी प्रोत्साहन राशि बढ़ाने का ऐलान कर दिया है।

अब 3 हज़ार मिलेंगे, पहले मिलते थे सिर्फ 1 हज़ार

नीतीश कुमार ने बुधवार को घोषणा की कि आशा कार्यकर्ताओं को अब ₹1000 की जगह ₹3000 की प्रोत्साहन राशि मिलेगी। इतना ही नहीं, हर प्रसव पर ₹600 का बोनस भी तय किया गया है। यानी काम के साथ-साथ अब “इनाम” भी दोगुना।

“स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार में इन महिलाओं की भूमिका अहम है, उनका मनोबल बढ़ाना ज़रूरी है” — सीएम नीतीश कुमार

सीट भी आरक्षित, अब सियासत भी?

याद कीजिए, एक दिन पहले ही मुख्यमंत्री ने राज्य की बसों में महिलाओं के लिए आगे की 4 सीटें आरक्षित करने का ऐलान किया था। इससे पहले महिलाओं को सरकारी नौकरियों और शिक्षा में 50% आरक्षण भी मिल चुका है। यानी अब सीट से लेकर सीट (विधानसभा की) तक, हर जगह महिलाएं फोकस में हैं।

सियासी सर्जरी या वाकई संवेदनशीलता?

नीतीश कुमार की इन घोषणाओं को सियासी जानकार “Pre-Poll Booster Dose” बता रहे हैं। विपक्ष इसे साफ तौर पर चुनावी स्टंट कह रहा है। लेकिन अगर इससे ज़मीनी महिलाएं सशक्त होती हैं, तो जनता को शायद कोई आपत्ति नहीं।

चुनावी रंगमंच पर नीतीश का किरदार

हर घोषणा के पीछे एक रणनीति है — और नीतीश कुमार इसे बखूबी निभा रहे हैं। महिलाएं, स्वास्थ्य, आरक्षण, बस सीट… अब देखना ये है कि मतदाता इन घोषणाओं को वोट की सीट में बदलते हैं या नहीं।

चुनाव से पहले सीएम नीतीश कुमार की यह रणनीति एक तरह से “वोट फॉर वर्कर्स” कैम्पेन बनती जा रही है। घोषणाएं तो हो रही हैं, अब देखना है कि मतदान पेटी में असर दिखता है या नहीं।

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